रायपुर. धनतेरस पर सोने के आभूषणों की खरीदी विशेष रूप से होती है. हम भारतीय लोग अक्सर बातचीत में एक मुहावरे का उपयोग करते हैं-‘रत्ती भर’. यह मुहावरा आपने बहुत से लोगों से सुना होगा और आपने भी कई बार बोला होगा. ‘इसे तो रत्ती भर भी शर्म नहीं है’ या फिर ‘तुम्हें तो रत्ती भर भी परवाह नहीं है. त्योहर सीजन में रत्ती, कैरेट, तोला सुनाई में आता है, लेकिन ये रत्ती होता क्या है?

एक वजन के होते हैं रत्ती के बीज
इस पौधे को ज्यादातर आप पहाड़ों में ही पाएंगे. रत्ती के पौधे को आम भाषा में ‘गूंजा ‘ कहा जाता है. इसके अंदर मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने होते हैं. प्राचीन काल में कोई मापने का सही पैमाना नहीं था. प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा ‘ नामक पौधे के बीज का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है. गूंजा का दाना एक सामान वजन का होता है. भारत नहीं बल्कि एशिया महाद्वीप में रत्ती से ही गहनों की तुलाई होती थी.

आधुनिक गैजेट्स से ज्यादा विश्वसनीय
अभी की भी बात करें तो यह विधि, या कहें तो इस मापन की विधि को किसी भी आधुनिक गैजेट्स से ज्यादा विश्वासनीय और बढिय़ा माना जाता है. आप इसका पता अपने आसपास के सुनार या जौहरी से भी लगा सकते हैं. ग्रामीण अंचल में आज भी लोग रत्ती का ही प्रयोग करते हैं, वो बात अलग है अब आभूषण विक्रेता ग्राम में दाम बताते हैं.

जानिए कितने ग्राम का होता है एक रत्ती
कैरेट, ग्राम, रत्ती का आपस में संबंध होता है. इस मापन के अंतरराष्ट्रीय नियम भी है. ग्राम को यूज आभूषणों में इस्तेमाल होता है, लेकिन जब रत्न खरीदीने की बात आती है उसे ग्राम में नहीं कैरेट में मापा जाता है, इसे ऐसे समझे 1 ग्राम बराबर 1000 मिलीग्राम और 1 ग्राम में 5 कैरेट. आधुनिक युग ने रत्ती का स्थान कैरेट ने ले लिया है. ऐसे में एक रत्ती दाने का वजट 182 मिली ग्राम होता है. 200 मिलीग्राम बराबर एक कैरेट.

यह थी पुराने समय में मापन की इकाई
4 धान की 1 रत्ती बनती है (121.497)
8 रत्ती का 1 माशा बनता है (9.719) मिलीग्राम
12 माशों का 1 तोला (11.66) ग्राम
5 तोलों की 1 छटांक बनती है (62.5) ग्राम
4 छटांक = 1 पाव (आजकल 250 ग्राम)
4 पाव या 16 छटांक = 1 सेर बनता है (1.00) किलोग्राम
5 सेर = 1 पनसेरी (पसेरी) बनती है (4.664) किलोग्राम
40 सेर = 1 मन
8 पनसेरियों = 1 मन बनता है

आयुर्वेदिक के साथ चमत्कारी भी है गूंजा
ऐसा माना जाता है कि अगर आप रत्ती के पत्ते को चबाना शुरू करें तो मुंह में होने वाले सारे छाले ठीक हो जाते हैं. साथ ही साथ इसकी जड़ को भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है. तंत्र-मंत्र में भी इसका उपयोग किया जाता है.