रायपुर। अंबेडकर अस्पताल में जूनियर डाॅक्टरों और मरीज के परिजनों के बीच हुई मारपीट के मामले में पुलिस की कार्य़वाही पर सवाल उठाए गए हैं. मरीज के परिजनों का आरोप है कि इस पूरे मामले में जूनियर डाॅक्टरों के दबाव में पुलिस ने कार्रवाई की है. आरोप यह भी लगाया गया है कि जूनियर डाॅक्टरों के दबाव में ही पुलिस ने मरीज के परिजनों के खिलाफ गंभीर किस्म की आपराधिक धाराएं लगा दी. जबकि परिजनों की ओर से डाॅक्टरों के खिलाफ की गई शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं किया गया. पुलिस ने मरीज के परिजनों के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट, शासकीय कार्य में बाधा डालने, मारपीट करने जैसी कई गंभीर किस्म की धाराएं लगाई हैं.

गौरतलब है कि सोमवार की शाम अंबेडकर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती शिव कुमार दुबे की तबियत बिगड़ गई. परिजनों का कहना है कि मरीज की हालत बिगड़ने के बाद काफी देर बाद तक डाॅक्टर आईसीयू में नहीं आए. डाॅक्टरों को खोजते हुए परिजन डायलिसिस रूम में गए. परिजनों का आरोप है कि वहां मौजूद डाॅक्टर अभिषेक अग्रवाल से हुई कहासुनी के बाद दोनों पक्षों में मारपीट की नौबत आ गई. इसके बाद अस्पताल के तमाम जूनियर डाॅक्टर कार्रवाई की मांग को लेकर लामबंद हो गए. जूनियर डाॅक्टरों के दबाव के बाद डॉ. अभिषेक अग्रवाल की शिकायत पर मरीज के परिजन जयंती, नरेन्द्र और संजय के खिलाफ कई गंभीर धाराएं लगाकर घटना की रात ही तत्काल गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने मरीज के परिजनों को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया था, जहां कोर्ट ने पुलिस को गंभीर किस्म की आपराधिक धाराएं लगाए जाने को लेकर कड़ी फटकार भी लगाई थी.

इधर अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डाॅक्टरों की दलील है कि मरीज के परिजनों के खिलाफ कमजोर धाराएं लगाकर उन्हें बचाने की कोशिश की गई. हालांकि पुलिस ने जूनियर डाॅक्टरों के इन आरोपों को खारिज किया है.