दुर्ग. क्रोध में पत्थर बनने के श्राप की देश में अनेक कथाएं सुनने को मिल जाएगी. लेकिन दुर्ग के पास ग्राम जेवरा-सिरसा में एक ऐसा मंदिर है, जहां भाई-बहन ने पवित्र रिश्ते की लाज रखने अपने आप को पत्थर बनाने का आशीर्वाद मांगा था. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह के प्रतीक इस मंदिर में भाई-बहन की शिलाओं की पूजा होती है. रक्षा सूत्र समर्पित कर बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करतीं है. Read More – इन 56 भोगों से बनता है अन्नकूट, जानिए छप्पन भोग में कौन कौन से व्यंजन होते हैं शामिल …

ये है प्रचलित कथा

इस मंदिर की लोकमान्यता के विषय में अंचल के भगवताचार्य पंडित मनोज पांडेय बताते हैं कि ग्राम सिरसा के साजा राउत (यादव) नाम का एक किसान खेत में हल जोत रहा था. रोज उनकी पत्नी खाना लेकर खेत जाती थीं. एक दिन घर में अचानक मेहमान आ गए. किसान की पत्नी ने खाना पहुंचाने अपनी ननद को भेज दिया. इधर गर्मी से बेहाल किसान निर्वस्त्र होकर हल जोत रहा था. अचानक उसकी नजर खाना लेकर आ रहीं बहन पर पड़ी. खेत में कहीं ओट नहीं थी, जिससे कि वे अपनी मर्यादा ढंक सके.

देखते ही देखते दोनों बन गए पत्थर के

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की अस्मिता बनाए रखने भाई ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना करना शुरू कर दी कि मुझ पर बहन की नजर पड़े इससे पहले मुझे पत्थर बना दो प्रभु. इधर ऐसी ही विकट स्थिति बहन की थी. उसने लोक मर्यादा की वजह से भगवान से प्रार्थना की कि अगर भाई-बहन का उनका प्यार सच्चा है तो उसे भी पत्थर का बना दो. भगवान ने उनकी विनती स्वीकार कर ली और दोनों देखते-देखते पत्थर के बन गए.

ग्रामीण देवता के रूप में पूजे जाते हैं भाई-बहन

मूर्ति का कुछ भाग धरती में समा गया और कुछ जमीन के ऊपर रह गया. बहन के सिर पर बर्तन और पत्थर के टुकड़े के रूप में सब्जी की आकृति आज भी है. यह शिला कब से स्थापित है और आस्था के रूप में पूजे जा रहे हैं, यह गांव के बड़े-बुजुर्गों को भी नहीं मालूम. अपने बुजुर्गों को शिला की पूजा करते देखते आ रहे हैं. उसी परंपरा का निर्वहन हर आने वाली पीढ़ी कर रही है. अब तो यह ग्रामीण देवता के रूप में भी स्थापित हो चुका है. मन्नतें पूरी होने के रूप में भी इस पवित्र मंदिर की ख्याति बढ़ती जा रही है. Read More – गोवर्धन पूजा पर भगवान कृष्ण की होती है पूजा, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा की विधि …

बेटी की मन्नतें लेकर यहां आते हैं लोग

जहां आज भी समाज में बेटे की चाह में रोज सैंकड़ों बेटियां कोख में ही मार दी जा रही है, वहीं गांव के इस मंदिर में लोग बेटी की चाह की मन्नतें लेकर आते हैं. विशेष तौर पर जिस घर में बेटियां नहीं होती, माता-पिता रक्षाबंधन पर भाई की कलाई सुनी न रहे इसलिए बेटी जन्म की मनौती मांगते हैं. कहते हैं बेटी के विवाह को लेकर चिंतित पालकों की मुरादें भी यहां पूरी होती है.

अनोखे मंदिर तक कैसे पहुंचे

दुर्ग जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर ग्राम जेवरा-सिरसा में साजा राउत देवालय है. यहां भाई का और करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर बहन की शिला स्थापित है.