सोशल मीडिया पर जो भी पोस्ट हो रहे हैं, उनमें कौन से पोस्ट देश या समाज हित में नहीं हैं, यह तय करने के लिए केंद्र सरकार समिति बनाने की तैयारी में है. सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर सरकार यह तय करेगी कि किस तरह के कंटेंट को उठाना है या कौन से कंटेंट को डाउन करना है. खासकर ऐसे कंटेंट जो देश, समाज हित या सामाजिक सौहार्द्र के लिए सही नहीं हैं, उन पर नकेल कसी जाएगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईटी रूल 2021 में संशोधन किया जाएगा, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वाट्सएप आदि निगरानी में आ जाएंगे. देश में लंबे समय से इस पर विचार चल रहा है कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए एक सिस्टम होना चाहिए. हालांकि इसके पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तर्क सामने आए हैं.

सोशल मीडिया में लिखने-पढ़ने की आजादी होने के कारण कई दुरुपयोग भी सामने आए हैं, जिसमें सामाजिक और धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने से लेकर हिंसात्मक पोस्ट भी किए गए हैं. जून में एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के जरिए लोगों से फीडबैक लिया गया था. बड़ी संख्या में लोगों ने दुरुपयोग रोकने के लिए सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग पर जोर दिया था. इसे आधार बनाकर एक व्यापक मसौदा तैयार किया गया है.


इस तरह होगा समिति का स्वरूप
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2022 के संबंध में अधिसूचना जारी करने के बाद केंद्र सरकार तीन महीने में एक या एक से ज्यादा शिकायत व अपील समितियों का गठन करेगी. इसमें एक अध्यक्ष और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे. इनमें एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र सदस्य होंगे.
ऐसा नहीं है कि किसी पोस्ट को बिना किसी सुनवाई का मौका दिए गैरकानूनी साबित कर दिया जाएगा, बल्कि इसके लिए अपील समिति भी होगी, जो सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा लिए गए फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगी.