रायपुर. बिना रुके सबसे लंबी उड़ा भरने वाले पक्षियों का नया कीर्तिमान रचने वाले पक्षी में बार-टेल्ड गॉडविट (bar-tailed godwit) का नाम भी जुड़ गया है. जिसने नॉन स्टाप 13,560 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया. पक्षी ने पुराने सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एक नया जबरदस्त रिकॉर्ड बनाकर दुनिया को हैरान कर दिया है. अब इस परिवार के सदस्य समूह हमारे गिधवा-परसदा में भी दिखेंगे.

यात्रा मैप देखने से लगता है कि इतनी दूर की यात्रा में उसने कहीं भी धरती पर कदम नहीं रखा. रिपोर्ट के अनुसार, इतनी लंबी उड़ान तय करने में इस परिंदे को 11 दिन और 1 घंटे का समय लगा. महज 5 महीने की उम्र के ‘बार-टेल्ड गॉडविट’ (bar-tailed godwit) पक्षी ने इतनी लंबी उड़ान बिना रुके पूरी कर के एक वल्र्ड रिकॉर्ड बना दिया है. 15 अक्टूबर 2022 को अलास्का में सफर शुरू होने से पहले इसकी पीठ के निचले हिस्से पर सैटेलाइट टैग लगाया गया था. इस पक्षी ने यह मैराथन सफर बिना रुके 25 अक्टूबर को पूरा किया. इसने अलास्का से न्यूजीलैंड की 13560 किलोमीटर की दूरी तय की.

कुछ ही दिनों में दिखेंगे और सदस्य

बेमेतरा जिले के गिधवा परसदा में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. पक्षी विशेषज्ञ, एएमके भरोस ने बताया भारत में पक्षियों का प्रवास तीन मार्ग से होता है, जिसमे सेंट्रल एशियन फ्लावे सबसे छोटा मार्ग है. जिसमें लगभग कई देश आते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ पक्षी पहाड़ों के ऊपर से उड़ते है कुछ पहाड़ों के दरारों से निकलते हैं. कुछ पक्षी समुद्र के करीब से उड़ते हैं. डिमाइल क्रेन और बार हेडेड गूस हिमालय के ऊपर से उड़ के आते हैं. जो करीब 29 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़कर आते हैं. इन 150 देश-विदेशी प्रजाति में बार-टेल्ड गॉडविट (bar-tailed godwit) भी देखे गए हैं. पीएचडी रिसर्च स्क्वॉलर अनुराग विश्वकर्मा ने बताया कि पक्षी प्रेमियों और विशेषज्ञों ने गिधवा और पसरदा में आए इन पक्षियों को देखा.

गिधवा-परसदा क्यों है खास ?

देश-दुनिया के अलग-अलग प्रजातियों के पक्षियों को पनाह देने वाले गिधवा-परसदा गांव में छत्तीसगढ़ का अप्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है. गिधवा में 150 प्रकार के पक्षियों का अनूठा संसार है. 100 एकड़ में फैले पुराने तालाब के अलावा परसदा में भी 125 एकड़ के जलभराव वाला जलाशय है. यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का अघोषित अभयारण्य माना जाता है. सर्दियों की दस्तक के साथ अक्टूबर से मार्च के बीच यहां यूरोप, मंगोलिया, बर्मा और बांग्लादेश से पक्षी पहुंचते हैं. जलाशय की मछलियां, गांव की नम भूमि और जैव विविधता इन्हें आकर्षित करती है.

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