मुंबई. बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा है कि पुलिस थाने को सरकारी गोपनियता अधिनियम के तहत परिभाषित निषिद्ध स्थान में शामिल नहीं किया गया है और इसलिए उसके अंदर वीडियो रिकॉर्ड करने को अपराध श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. न्यायमूर्ति मनीष पिटाले और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजेस की खंड पीठ ने मार्च 2018 में एक पुलिस थाने के अंदर वीडियो रिकॉर्ड करने को लेकर सरकारी गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के तहत रवींद्र उपाध्याय नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को इस साल जुलाई में खारिज कर दिया था. बंबई हाईकोर्ट की पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि पुलिस थाना इस अधनियम में विशेष रूप से उल्लेखित निषिद्ध स्थान नहीं है. Also Read: Raipur Railway Station में पार्सल ट्रॉली से टकराई गीतांजलि एक्सप्रेस, उड़े परखच्चे
कोर्ट ने कहा, ‘सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा 2(8) में निषिद्ध स्थान की जो परिभाषा दी गई है वह प्रासंगिक है. यह एक संपूर्ण परिभाषा है, जिसमें किसी ऐसे स्थान या प्रतिष्ठान के रूप में पुलिस थाने को शामिल नहीं किया गया है, जिसे निषिद्ध स्थान माना जाए.’
ये खबरें भी जरूर पढ़े-
- Bihar News: सरकार ने गन्ना फसल पर 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की, किसानों के चेहरे पर आईं मुस्कान
- 28 नवंबर विशेष : राजभाषा बनने के 17 साल बाद भी छत्तीसगढ़ी के साथ जारी है छल-कपट का खेल …
- Rising Rajasthan Summit 2024: ग्लोबल बिजनेस एक्सपो में 100+ कंपनियों की भागीदारी, राजस्थान के औद्योगिक विकास पर होगा फोकस
- धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता यात्राः सांसद और भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी पदयात्रा में हुए शामिल
- Bihar News: पटना की हवा हुई खराब, एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंचा 393