बिलासपुर. संभाग का सबसे बड़ा सिम्स मेडिकल कॉलेज इन दिनों कई समस्याओं से जूझ रहा है. यहां कई डायग्नोस्टिक मशीनें खराब है. सोनोग्राफी के साथ ही छोटी-छोटी जांच के लिए सिम्स में व्यवस्था खराब होने की वजह से मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटर जाना मजबूरी हो गई है. मशीनों के खराब होने की वजह से मरीजों को अधिक कीमत चुकाकर निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच कराने से आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है.
सिम्स का आलम ये है कि करीब 6 महीने के भीतर आठवीं बार सीटी स्कैन मशीन खराब हो गई है. जबकि दो महीने पहले ही करीब 2 करोड़ रूपए की लागत से इसे खरीदा गया था. इस मशीन को कभी चूहे काट रहे तो यह 10 से 15 दिन के लिए बंद हो रहा तो कभी कॉपर वायर चोरी होने तो कभी इंजीनियरिंग फॉल्ट के चलते यह बंद हो रही. अब इसमें कोई दूसरी समस्या आ गई है, जो डॉक्टर और कर्मचारियों को भी नहीं पता यही है कि दो दिन से यहां सीटी स्कैन कराने वाले मरीज या तो बाहर के डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच करवा रहे या फिर उनका इंतजार कर रहे.
निजी लैब को फायदा पुहंचा तो उद्देश्य नहीं ?
ये विभाग के लिए जांच का विषय है कि सिम्स के आस-पास बनी सीटी स्कैन, एक्सरे और सोनाग्राफी का धंधा खूब चल रहा है. कही ऐसा तो नहीं कि इन्हें फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से इसे बार-बार खराब बताकर बंद कर दिया जा रहा हो ? इतना ही नहीं सिम्स की दीवारों पर ही दुकानों का प्रचार प्रसार किया जा रहा. कैंपस में उन दुकानों के बड़े-बड़े प्लैक्स लगे हैं कि यहां उन्हें जांच कराने की सुविधाएं रियायती दरों पर मिलेगी.
सोनोग्राफी के लिए दिसंबर तक इंतेजार
सिम्स में जिस तरह की परेशानी सोटी स्कैन मशीन को लेकर आ रही उसी तरह सोनोग्राफी मशीन चालू होकर भी बंद के बराबर है. ऐसा बताया जा रहा कि यहां दिसंबर तक वेटिंग के बाद ही सोनोग्रफी जांच की सुविधा मिलेगी. यहां 300 से अधिक मरीज इंतजार में है कि कब उनकी जांच हो. उसके बाद नए मरीजों का नंबर लगेगा.