रायपुर. शास्त्रों में केला बहुत ही शुद्ध फल माना जाता है. जिस प्रकार भगवान विष्णु अयोनिज हैं, उसी प्रकार केले का फल भी बीज से पैदा नहीं होता. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार केले का फल सत्यनारायण भगवान को इसलिए पसंद है, क्योंकि इस पर गुरु ग्रह का प्रभाव होता है. भगवान विष्णु को दूध भी बहुत पसंद है इसलिए उनकी पूजा में उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है. दूध और केले को मिलाकर भोग लगाया जाता है.

भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में चावल उपयोग नहीं होता क्योंकि एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता है. विष्णु भगवान की पूजा में गेहूं का दान दिया जाता है. गेहूं को दान करने से ये सोने के दान का फल देता है. इसलिए ये भगवान को पूजा प्रसाद के रूप में चढ़ता है. ज्योतिष के अनुसार केले के पत्तों को सभी शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है. मंगल कार्यों के दौरान इसे दरवाजों में या पूजा स्थल पर लगाना बेहद शुभ माना जाता है.

केले की पवित्रता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पुराने समय में इसके तने से निकाले गए पानी से ही उपवास के लिए पापड़ आदि पदार्थ बनाए जाते थे. केले में ट्रिप्टोफेन नाम का एमिनो एसिड होता है जो स्मरण शक्ति बढ़ाता है तथा प्रसन्नता बढ़ाने में सहायक होता है और दिमाग को शांत रखता है. इसके अलावा केले में मौजूद पोटेशियम की मात्रा दिमाग की सतर्कता को बढ़ाती है.

तनाव की स्थिति में खून में पोटेशियम की मात्रा कम हो जाती है. पोटेशियम ऑक्सीजन दिमाग तक पहुंचाता है और शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखता है. केला खाने से पोटेशियम का स्तर सुधर जाता है. तनाव कम हो जाता है.

स्मरण शक्ति, शांत दिमाग, सतर्कता और कम तनाव ये सभी  विद्यार्थी को परीक्षा में सफल होने के लिए अति आवश्यक होते है. अतः विद्यार्थियों को रोजाना केले जरूर खाने चाहिए.

ऐसे करें केले का पूजन

सुबह मौन व्रत का पालन कर स्नान करें और केले के वृक्ष को प्रणाम कर जल चढ़ाएं.

हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ केल को समर्पित करें.

अक्षत, पुष्प आदि मंगल चीजें चढ़ाएं और केले के पेड़ की परिक्रमा करें.

घर के आंगन के वृक्ष को छोड़ किसी दूसरे पेड़ की ही पूजा करना चाहिए.