पंकज तिवारी, रायपुर। खिचड़ी भारत के लगभग हर हिस्से में खाई जाती रही है. इसकी लोकप्रियता की ही वजह से 5 साल पहले आज के ही दिन 4 नवंबर को इसे नेशनल फूड बनाए जाने पर जमकर चर्चा हो रही थी. सरकार के इस पर इंकार के बाद भी खिचड़ी की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा. अन्य राज्यों की तुलना में हमारे यहां की खिचरी अलग और खास है…

भोग, प्रसाद, भंडारा है खिचड़ी

बात करें छत्तीसगढ़ में खिचड़ी की तो यह स्वादिष्ट व्यंजन घरों तक सीमित नहीं है. हमारे यहां तो भगवान का भोग, प्रसाद, भंडारा, धार्मिक-सामाजिक समारोह में खिचड़ी प्रमुख भोजन है. प्रदेश में सातों दिन कहीं न कहीं धार्मिक आयोजन में शाम में समय ये व्यंजन मिल ही जाएगा. लेकिन मंदिरों में प्रति मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को खिचड़ी का महाभोग लेने लोगों की लाइन लगती है. खास मौके धार्मिक जयंती, जन्मोत्सव, पर्व पर बनने वाली खिचड़ी की महक मोटर-कार वालों को कतार में लगने पर विवश कर देती है.

खिचड़ी एक, मगर नाम अनेक

खिचड़ी एक, मगर नाम कई अपने देश में खिचड़ी भले ही एक भोजन है, मगर अलग-अलग राज्यों में कई नामों से जानी जाती है. इनमें खिचड़ी को खिचरी, खिचाड़ी, खीचेड़ी, कीसुरी, बिसिलेले भात, असुर खिचड़ी, खितचड़ी, खेचिड़ी और वेन पोंगल के नाम से प्रसिद्ध है.

खिचड़ी के प्रकार

खिचड़ी में जो भी चीज डालो वो उसकी नाम की बन जाती है, जैसे चावल, सब्जियां, गाजर, हरी मटर, शिमला मिर्च, फूलगोभी, प्याज, टमाटर, मूंग दाल की खिचड़ी, अरहर दाल की खिचड़ी, होल ग्रेन साबुत अनाज की खिचड़ी, आयुर्वेदिक खिचड़ी, मसालेदार खिचड़ी, ड्रायफ्रूट खिचड़ी, बाजरे की खिचड़ी, दही वाली खिचड़ी प्रमुख है.

विदेशों में भी लोकप्रिय है खिचड़ी

इंडिया के अलावा मध्य पूर्व के देशों, कई अफ्रीकन कंट्रीज, मोरक्को, इजिप्ट जैसे देशों में खिचड़ी काफी लोकप्रिय है. यहां पर अलग तरीकों से खिचड़ी बनाई जाती है और इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इन देशों में खिचड़ी में मीट भी मिलाया जाता है.