कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। 8 महीने पहले ग्वालियर के पास ट्रेन में घायल हालत में मिले एक शख्स की याददाश्त चली गई थी. जीआरपी ने इस शख्स को ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम भिजवा दिया. यहां युवाओं की टीम ने न सिर्फ इस घायल का इलाज कर बेहतर किया. बल्कि आठ महीने बाद उसकी याददाश्त भी लौट आई. शख्स ने बताया कि वो नेपाल का रहने वाला है और आगरा में नौकरी करने के लिए नेपाल से रवाना हुआ था. कुछ लोगों ने बस में उस पर हमला कर लूट की, फिर उसे ट्रेन में फेंक दिया. आठ महीने से इसका फोन बंद होने से घर वालों को भी अनहोनी की आशंका थी, लेकिन अब सही सलामत होने की खबर लगते ही परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पत्नी आर्थिक रूप से लाचार हो गई है. लिहाज़ा उसकी गुजारिश पर आश्रम की टीम ग्वालियर से इस शख्स को अपने देश नेपाल छोड़ने जाएगी. जहां उसके बीबी और बच्चे इंतज़ार कर रहे हैं.
यह नजारा ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम का है. तस्वीरों में नाचते गाते नजर आ रहा है यह 60 साल का शख्स गोपाल है, जो पिछले 8 महीने से ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में रह रहा है. गोपाल नेपाल का रहने वाला है. इसके नेपाल से ग्वालियर पहुंचने की दास्तान भी फिल्मों कहानी की तरह है.
दरअसल इस कहानी की शुरुआत मार्च महीने में होती है. मार्च महीने में ग्वालियर जीआरपी को ट्रेन में बामोर के पास सीट के नीचे घायल हालत में एक शख्स मिला. जीआरपी ने देखा कि घायल की सांसे चल रही थी. यही वजह कि उसे ट्रेन से निकालकर ग्वालियर लाया गया. यहां जयारोग्य अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. जब इस शख्स को होश आया तो उसकी याददाश्त जा चुकी थी, वो अपने बारे में कुछ बता नहीं पा रहा था. उसे यह भी पता नहीं था कि वह कहां से आया है और यहां कैसे पहुंचा.
कुछ दिन अस्पताल में इलाज के बाद इस शख्स को ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में लाया गया. आश्रम के युवाओं ने इसकी सेवा की. इसका एक हाथ फ्रेक्चर के चलते पूरी तरह से लाचार हो गया था. आश्रम में रहने वाले दूसरे बेसहारा लोगों के साथ ये शख्स घुलने मिलने लगा. धीरे-धीरे उसकी स्मृतियां लौटने लगी. कुछ दिन पहले ही इस शख्स ने बताया कि उसका नाम गोपाल है और वो नेपाल का रहने वाला है. नेपाल में उसके परिवार में पत्नी और 5 बच्चे हैं.
गोपाल ने बताया कि वो 5 मार्च को वह नेपाल से आगरा आने के लिए रवाना हुआ था. भारत की सीमा में आने के बाद एक बस में बैठने के बाद उसे पता नहीं चला क्या हुआ ? उसके बाद उसने जब होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया. गोपाल ने बताया कि कुछ लोगों ने उसे लूट किया था और इस दौरान उस पर हमला भी किया.
स्वर्ग सदन आश्रम में युवाओं की टीम ने गोपाल की सेवा की. जब गोपाल को अपने बारे में सब कुछ याद आ गया उसे अपना घर परिवार अपने साथ हुई लूट की घटना याद आई तो स्वर्ग सदन आश्रम के लोग भी खुश हो गए. फिर गोपाल के बताए पते के आधार पर नेपाल में संपर्क किया गया. नेपाल में गोपाल की पत्नी से बात हुई. तो पत्नी की भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. क्योंकि हादसे के बाद से ही गोपाल का फोन बंद था और घर वालों को भी किसी अनहोनी की आशंका थी. काफी खोजबीन के बाद गोपाल का पता नहीं चला था. लेकिन अब जब यह खबर मिली कि गोपाल सही सलामत ग्वालियर के स्वर्ग आश्रम में है, तो उसकी पत्नी भी खुश हो गई.
पत्नी के आर्थिक हालात खराब है यही वजह है कि उसने स्वर्ग सदन आश्रम की युवाओं से गुहार लगाई कि वह उसके पति को नेपाल छोड़ने आए. कुछ दिनों के बाद स्वर्ग सदन आश्रम की टीम गोपाल को उसके घर नेपाल छोड़ने के लिए रवाना होगी. बहरहाल गोपाल को अपने घर जाने की एक और खुशी भी है, तो वही एक लंबा वक्त स्वर्ग सदन आश्रम में लोगों के बीच गुजार कर नए दोस्त बनाए उन्हें खोने का भी गम है. हालांकि फिल्मी कहानी जैसी यह रियल स्टोरी का फाइनल रिजल्ट तब सामने आएगा. जिस दिन वह अपनी फैमली के बीच होगा.
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