सरकारी स्कूलों में बच्चों के पूरक पोषाहार के लिए अंडा की आपूर्ति निजी एजेंसी कर सकती है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग इसका टेंडर निकालने की तैयारी कर रहा है. झारखंड (Jharkhand) के सरकारी स्कूलों के बच्चों को सप्ताह में पांच दिन अंडा (Egg) देने के लिए कैबिनेट के फैसले के बाद भी अब तक इसका संकल्प जारी नहीं हो सका है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को इसका संकल्प जारी करना है. पहली से आठवीं में पढ़ने वाले 32 लाख स्कूली बच्चों को अभी पूरक पोषाहार के रूप में सप्ताह में दो दिन उबला हुआ अंडा (boiled egg) दिया जाता है. इसे तीन दिन और दिया जाना है, ताकि बच्चे स्वस्थ्य रहें और वे कुपोषण (malnutrition) की चपेट में न आएं. इसलिए सितंबर में आयोजित कैबिनेट की बैठक में पांच दिन अंडा दिये जाने का निर्णय लिया गया था. अब सरकार स्कूलों में अंडा की आपूर्ति की तैयारी कर रही है. अगर इसके लिए टेंडर निकालने की प्रक्रिया हुई और एजेंसी के जरिए अंडा की आपूर्ति की गई तो इसमें समय लगेगा और देरी होगी.
टेंडर से न मिली साइकिल, न फूड पैकेट
स्कूली बच्चों को लाभांवित करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया अब तक सफल नहीं हो सकी है. साइकिल योजना का लाभ पिछले दो साल से नहीं मिल सका है. यह टेंडर की पेच में ही फंस कर रहा गया. न तो साइकिल मिली और न ही उसकी राशि. शिक्षा विभाग कोरोना काल में मिड डे मील की कुकिंग कॉस्ट की राशि से फूड पैकेट देने के लिए दो बार टेंडर निकाले गए, लेकिन यह भी अमलीजामा नहीं पहन सका. अंत में इसे रद्द कर छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में कुकिंग कॉस्ट की राशि दे दी गई. अब अंडा के लिए टेंडर निकालने की तैयारी है. ऐसे में कोई एजेंसी सुदूरवर्ती गांव में अंडा की आपूर्ति कैसे करेगी, इसी बड़ी चुनौती होगी.
सरस्वती वाहिनी अंडा की करती है खरीदारी
सरकारी स्कूलों में बच्चों को सप्ताह में दो दिन अंडा दिया जाता है. इसकी खरीदारी स्कूल की सरस्वती वाहिनी करती है. उसे ही राशि उपलब्ध करायी जाती है, जिससे वे स्कूलों को बच्चों के लिए अंडा उपलब्ध कराती हैं. पांच दिन अंडा के संलेख में भी सरस्वती वाहिनी को ही अंडा खरीदने के अधिकार दिये जाने की बात कही जा रही है. बता दें कि झारखंड के 32 लाख विद्यार्थियों को सप्ताह में 5 अंडे एक अक्तूबर के प्रभाव से ही मिलने थे. सितंबर महीने की कैबिनेट की बैठक में इसकी मंजूरी दे दी गई थी. सरकारी स्कूलों में शनिवार छोड़ सोमवार से शुक्रवार तक कार्यदिवस के दिन बच्चों को एक उबला हुआ अंडा या फल देना था.
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