अमृतांशी जोशी,भोपाल। मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह के स्तनपान वाले बयान पर काफी बवाल हुआ था. लेकिन अब भी एसीएस अशोक शाह अपने बयान पर कायम है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के आधार पर मैंने अपनी बात रखी. वेबसाइट पर सब मौजूद है. आप इंटरनेट पर जाकर देख सकते हैं. उसको एक्सप्लेनेशन की ज़रूरत नहीं है. सर्वे होते हैं, जिन पर ये आंकड़ा होता है. उसको बिना समझे कुछ कहना नहीं चाहिए. अशोक शाह ने कहा कि समझने वालों ने मेरे बयान को गलत समझा.
आज भोपाल में महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रोत्साहन एवं उत्प्रेरण कार्यक्रम हुआ. जिसमें ACS अशोक शाह को बोलने का मौका नहीं दिया गया. हर कार्यक्रम में ACS की स्पीच होती थी, लेकिन आज मौका नहीं मिला. पिछले बार दिए स्तनपान पर विवादित बयान के चलते ही इस उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिला.
बता दें कि लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 के शुभारंभ पर महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह ने कहा कि 2007 में मुख्यमंत्री ने सामाजिक क्रांति का सूत्रपात किया. आज लाड़ली लक्ष्मी के रूप में सामाजिक क्रांति शुरू चुकी है. उन्होंने कहा कि हमारी बालिकाएं पीछे क्यों रह जाती है ? इसका कारण बालिकाओं को मां का दूध नहीं पिलाया जाना है. 2005 में प्रदेश में सिर्फ 15 प्रतिशत माताएं अपनी बेटियों को अपना दूध पिलाती थी. आज 42 प्रतिशत माताएं अपनी बेटियों को दूध पिलाती है.
आंकड़ों की बात करें, तो स्तनपान करने वाले बच्चों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है और परसेंटेज बढ़ा है. 2015-16 में छह महीने कम के बच्चों के स्तनपान करने की परसेंटेज 58.2 थी जो अब 74 है. वहीं तीन साल से कम के बच्चों की 34.4 परसेंट थी, अब 41.3 परसेंट है.
महिला बाल विकास के ACS के बयान से मचा बवालः उमा भारती ने जताई नाराजगी, स्तनपान को लेकर दिया था बयान
ACS के बयान पर उमा भारती ने नाराज़गी जताते हुए ट्वीट किया था. जिसमें लिखा था कि मध्य प्रदेश सरकार के इस कार्यक्रम में भाषण देते हुए प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी का बेहद असंगत एवं हास्यास्पद कथन देखा. हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी महिलाओं के सम्मान के लिए बहुत सजग एवं संवेदनशील हैं, जब मैंने आज फोन पर बात करके उनको यह बात बताई तो वह इस कथन से असहमत एवं आश्चर्यचकित थे.
अगर यह कथन सही छपा है तो यह बेटी विरोधी, माता विरोधी एवं मध्यप्रदेश की मातृशक्ति की छवि खराब करने वाला है. अधिकारियों को अपने बयान के प्रति सचेत एवं जिम्मेवार रहना चाहिए. अमीर हो या ग़रीब, बेटा हो या बेटी, बच्चे के जन्मते ही हर माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती ही है. लाखों में एक केस में कई कारणों से ऐसा नहीं होता होगा. आखिर सारी महिलाएँ बेटियाँ ही हैं वो ज़िंदा कैसे रह गईं.
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