पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द. मैनपुर में कथित फर्जी 51 शिक्षाकर्मियों के पदोन्नति पर ब्रेक लग सकता है. बर्खास्त कर्मियों ने जानकारी छुपाकर पदोन्नति सूची में नाम डालने का आरोप डीईओ पर लगाया है. जिसकी शिकायत जनचौपाल में करने के बाद अब कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लिया है.

बता दें कि, सप्ताह भर पहले जिला शिक्षा अधीकारी ने 800 से ज्यादा शिक्षकों के नाम की पदोन्नति पात्रता सूची जारी की थी. लेकिन इस सूची के जारी होने के बाद ही पदोन्नति सूची विवाद में पड़ गई. फर्जीवाड़े के चलते बर्खास्त शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल 4 नवम्बर को खिलेंद्र कुटारे, पुरण सिंह पांडे, नवभारत कश्यप और लीलाधर वैष्णव के नेतृत्व में कलेक्टर जन चौपाल में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें जिला शिक्षा अधीकारी समेत विभाग के जवाबदार पर कथित फर्जी 51 शिक्षाकर्मी के विषय में अधूरी और गलत जानकारी देकर उन्हें पदोन्नति के लिए पात्र बता देने का आरोप लगाया है.

आरोप यह भी लगाया गया कि, 51 कर्मियों की जांच जारी है. जांच में दोषी भी पाए गए हैं, प्रकरण न्यायालय से भी होकर गुजरा है, बावजूद इनके गोपनीय चरित्रावली में इन बातों का संधारण नहीं किया गया है. बताया गया है कि विगत 17 साल में जितने अफसर पदस्थ हुए उनमें से किसी ने भी इस कार्य को करना जरूरी नहीं समझा. इस आरोप के बाद कलेक्टर प्रभात मलिक ने संज्ञान लेते हुए अपर कलेक्टर अविनाश भोई को जांच के निर्देश दिए थे.

इतना ही नहीं कलेक्टर भोई ने 10 नवम्बर को ही जिला शिक्षा अधिकारी करमन खटकर को पत्र जारी कर जांच के लिए आवश्यक जानकारियां और दस्तावेज की मांग की है. 3 दिन के भीतर जानकारी देने कहा गया है. अविनाश भोई ने कहा कि, मामले की जांच जारी है. जानकारी मांगी गई है, आरोप सही पाए गए तो आवश्यक कार्रवाई होगी.

हर बार मामला उठता है फिर दबाया जाता है

मैनपुर में 2005 और 2007 में 339 पदों पर शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की भर्ती की गई थी. लंबी जांच के बाद 129 लोगों को फर्जी पाया गया. इनमें से 78 को 2013 में कार्रवाई करते हुए जनपद मैनपुर ने बर्खास्त कर दिया. लेकिन 51 को छोड़ दिया गया है, जिन पर हमेशा कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है. बचे लोग हाईकोर्ट में भी चुनोती दे चुके हैं पर कोर्ट ने विधिवत कार्यवाही का अधिकार जनपद पंचायत को दे दिया. तब से लेकर अब तक कार्रवाई के नाम पर मामला उठाया जाता है और फिर दबा दिया जाता है.

वहीं सविलियन के पश्चात जिला शिक्षा अधिकारी ने आवश्यक कार्रवाई का हवाला देकर जनपद पंचायत को इसी साल 19 फरवरी और 4 मार्च को जानकारी मांगी थी पर सीईओ जनपद ने ना तो कार्रवाई से अवगत कराया ना ही जिला शिक्षा अधिकारी ने रिमांडर करना जरूरी समझा. 51 कर्मियों पर लटकी तलवार दो विभाग और जनपद जिला पंचायत प्रतिनिधि के इर्द-गिर्द घूम रही है.

इसलिए फिर उठा मामला

2013 में जिन 78 कर्मियों को बर्खास्त किया गया था, उन्होंने ही लंबित मामले की जांच के समय फर्जीवाड़े का पर्याप्त सबूत कलेक्टर को दिया था. तब कथित फर्जी कर्मियों ने कलेक्टर न्यायलय में लिखित घोषणा पत्र देकर नियुक्ति के दरम्यान उपयोग किया गया प्रमाण पत्र को हमारे द्वारा जमा नहीं जमा किया गया है बताया, जबकि इन्हीं दस्तावेजों के चलते उन्हें नियुक्ति मिली थी. तमाम सरकारी दस्तावेजों में 51 लोग की नियुक्ति भी 78 की भांति फर्जी पत्र भरा गया है. जो कार्यरत है उनसे ज्यादा योग्य और पात्रता रखने वाले पहले ही नौकरी गंवा बैठे हैं. मामले की सारी पोल जानने वालों के सामने ही जब नियुक्ति के बाद पदोन्नति होने लगी तो बाहर हो चुके कर्मियों को हजम नहीं हो रहा है.

कार्रवाई के नाम पर उगाही का धंधा

उलझे मामले और फंसे हुए पेंच के चलते अब तक कार्रवाई को लटकाया रखा गया है. सूत्रों की बात माने तो फर्जीवाड़े के मामले को दबाने और पदोन्नति में कोई बाधा ना आए इसके एवज में 1 करोड़ से ज्यादा की वसूली हुई है. हर दो से तीन साल के भीतर मामले में अब तक 5 करोड़ से ज्यादा का चन्दा कथित फर्जी लोगों ने इकठ्ठे कर बांट भी दिए हैं.

देखें आदेश की कॉपी-