CG News: प्रतीक चौहान. रायपुर. पशु विकास एवं मछली पालन विभाग में शासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए फर्जी जाति के मामले में अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है. जबकि सामान्य प्रशासन विभाग का स्पष्ट आदेश है कि ऐसे मामलों में आरोपी को प्रमुख पद न दिया जाए, ऐसे ही एक आदेश में मुख्यमंत्री निर्देश का भी जिक्र है जो 24 जुलाई 2021 को लिखा गया था. दरअसल पशु विकास एवं मछली पालन विभाग में ज्वाईंट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ श्रीमती अंजना नायडू की जाति को लेकर आयोग में शिकायत की गई थी. जांच के बाद आयोग ने इनकी जाति फर्जी पाई.जिसके बाद छानबीन समिति ने 15 जुलाई 2015 को उक्त अधिकारी की जाति फर्जी पाई.
सेवा समाप्त करने का आदेश दिया है सामान्य प्रशासन विभाग ने
24 जुलाई 2021 को सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र जारी किया था. जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश का अनुपालन करते हुए सभी विभागों को एक पत्र लिखा था. जिसमें जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति द्वारा फर्जी/गलत पाए जाने पर उन्हें तत्काल सेवा/महत्वपूर्ण पदो से पृथक करने की बात कही गई थी. इसी पत्र के दूसरे प्वाईंट पर इस बात का भी जिक्र है कि ऐसे संपूर्ण प्रकरणों में महाधिवक्ता, छत्तीसगढ़ के माध्यम से शीघ्र सुनवाई करने हेतु उच्च न्यायल से अनुरोध किया जाने और ऐसे प्रकरण जिसमें न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त नहीं है उन्हें तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाए, ये कहा गया है.
लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग के इस आदेश को ठेंग दिखाते हुए संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छत्तीसगढ़ संचालक श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी ने डॉ अंजना नायडू को प्रभारी संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं पर नियुक्ति का आदेश 20 अक्टूबर 2022 को जारी किया.
हाईकोर्ट से मिला है स्टे
इस संबंध में संचालक श्रीमती चंदन त्रिपाठी का कहना है कि उन्हें हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है, इसलिए उन्हें ज्वाईंट डायरेक्टर के पोस्ट में पदस्थ किया गया है.
शंकर लाल उइके मेरे पीछे पड़े हैः डॉ अंजना
इस संबंध में डॉ अंजना नायडू का पक्ष लेने उन्हें फोन किया गया, तो उनका स्पष्ट कहना था कि छानबीन समिति ने सभी तथ्यों की जांच के बाद भी उनके खिलाफ एक तरफा आदेश दिया. उन्होंने कहा कि उनकी इसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें स्कूल में स्कॉलरशिप मिली है और उनके पिता शासकीय पद से रिटायर हुए है. उन्होंने विभाग के ही शंकर लाल उइके के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक पहुंच होने के कारण वो ही उनके पीछे पड़े है और उनकी शिकायतें करवा कर उन्हें टारगेट कर रहे है. लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि गंभीर शिकायतों के बाद शंकर लाल उइके को पद से हटाया गया है और वे पुनः इस पद में आना चाहते है इसलिए इसकी शिकायतें करवाते रहे है और यहां नियुक्ति के बाद उनको इसका अंदाजा पहले से था.