रायपुर. हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं. मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्त्रार, जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है. हम अगर इस ऊर्जा का ठीक प्रबंधन कर लें तो असाधारण सफलता भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. कुछ नियमों के पालन और सात चक्र को सक्रिय से शरीर को रोग प्रतिरोध बनाया जा सकते हैं. इसी लिए योग गुरु और साधु-संत सप्तचक्र (सात चक्र) को जागृत करने की बात कहते हैं. Read More – सर्दियों का मौसम में अदरक, अंडा, सूप और दूध का करें सेवन, शरीर में बढ़ाती है अंदरूनी गर्मी …

शरीर की जैविक घड़ी को नियमित रखने के लिए रोज एक ही समय पर उठें. मन को साफ करने के लिए 15 मिनट ध्यान करें. ऐसा करने से दिनभर दैनिक गतिविधियां सुचारू रूप से चलेंगी. स्नान के लिए शरीर दोष के लिए उपयुक्त जल का चयन करना चाहिए. पित्त दोष वाले लोगों को ठंडे पानी से, वात दोष वाले गर्म पानी से और कफ दोष वाले लोगों को गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए. Read More – National Epilepsy Day : चप्पल-जूता सुंघाने से नहीं, सही इलाज से 70 फीसदी ठीक हो जाते हैं मिर्गी रोगी …

उठने के बाद चेहरे पर सात बार पानी के छींटे मारें. ऐसा करने से शरीर के सातों चक्र सक्रिय हो जाते हैं. बिना पचे हुए भोजन और कचरे को निकालने के लिए जीभ को खुरच कर निकालना चाहिए. मांसपेशियों को उत्तेजित करने के लिए पसंद के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए. त्वचा के रोमछिद्रों को खोलने और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के लिए ड्राई स्किन ब्रशिंग करनी चाहिए.