प्रतीक चौहान. रायपुर. रायपुर रेलवे स्टेशन स्थित नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों से हो रही अवैध वसूली की खबर लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से छापी थी. ये खबर उस शिकायत के आधार पर छापी गई, जिस आधार पर खुद रेलवे ने जांच शुरू की और ये जांच एक ट्वीट की शिकायत के बाद शुरू हुई, लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम की खबर से संभवतः पड़ी फटकार से नाराज सीनियर डीसीएम साहब ने लल्लूराम डॉट कॉम को उक्त समाचार का खंडन एवं स्पष्टीकरण भेजा, लेकिन हम सीनियर डीसीएम और रेलवे को ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि लल्लूराम डॉट कॉम अपनी खबर पर स्टैंड है और इस खबर में हम तथ्यों के साथ उनके स्पष्टीकरण एवं खंडन की पूरी हकीकत बताएंगे.
इतना ही नहीं, हम जांच के दौरान हुई चेंबर के अंदर 4 लोगों की बातचीत का भी खुलासा करेंगे, जिसमें स्टेशन मास्टर, स्टेशन अधीक्षक (कमर्शियल), आरपीएफ इंस्पेक्टर रायपुर और पार्किंग प्रतिनिधि के बीच हुई. हम सीनियर डीसीएम से ये भी अपील करते हैं कि यदि इस बातचीत की प्रमाणिकता पर उन्हें कोई अधिकृत जानकारी चाहिए तो वे उक्त अधिकारियों में से किसी को भी फोन लगाकर पुष्ट कर सकते हैं और फिर भी कोई बात अपुष्ट उन्हें नजर आती है, तो लल्लूराम डॉट कॉम उन्हें और तथ्य उपलब्ध करा देगा.
पहले बात करते हैं उस खबर की, जिसको लेकर रेलवे ने लल्लूराम डॉट कॉम को अपना स्पष्टीकरण भेजा है. खबर दरअसल ये थी कि रेलवे स्टेशन के नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने पर 20-20 रुपए की अवैध वसूली हो रही थी, जिसका एक वीडियो किसी यात्री ने बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट किया और फिर एक अन्य ने इसे ट्वीट किया, जिसके बाद रेलवे ने जांच शुरू की और पूरी खबर लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रकाशित की. अपने स्पष्टीकरण में सीनियर डीसीएम ने उक्त महिला पार्किंग स्टॉफ के पूरे बयान को लिखकर लल्लूराम डॉट कॉम को रेलवे का स्पष्टीकरण बनाकर भेज दिया, जबकि इसमें यही नहीं बताया कि क्या वहां अवैध वसूली हो रही थी या नहीं? यही पर ये स्पष्ट समझा जा सकता है कि यदि वसूली नहीं हो रही होती तो ये बात प्रमुखता से अपने स्पष्टीकरण में लिखते कि वहां कोई अवैध वसूली नहीं हो रही थी, लेकिन जब उन्हें ये बात बहुत अच्छे से पता है कि अवैध वसूली किनके कहने पर हो रही है तो वे भला ये कैसे लिखते कि वहां अवैध वसूली नहीं हो रही थी.
सीनियर डीसीएम साहब! अब आप जान लीजिए कमरे के अंदर हुई बातचीत
इस पूरे मामले की शिकायत के बाद आरपीएफ कमांडेंट ने आरपीएफ पोस्ट के निरीक्षक को पूरे मामले की जानकारी लेने कहा. वहीं दूसरी तरफ कमर्शियल कंट्रोल से स्टेशन मास्टर और स्टेशन अधीक्षक (कमर्शियल) को भी इसकी जानकारी दी गई, जिसके बाद तीनों एक साथ स्टेशन मास्टर के चेंबर में बैठे और पार्किंग प्रतिनिधि को पूछताछ करने बुलाया.
पार्किंग प्रतिनिधि अपने साथ वो सारे शिकायत पत्र लेकर पहुंचा था, जो उसने सीनियर डीसीएम को बतौर शिकायत भेजे थे और उसमें बकायदा रिसिविंग भी थी. उस कमरे में पूछताछ के दौरान पार्किंग प्रतिनिधि को इस बात पर कोई आपत्ति नहीं थी कि वे नो पार्किंग से 20 रुपए लेने की बात यात्री ने वीडियो में कही. वे पूछताछ के दौरान एक बात पर थे कि पार्किंग ठेकेदार ने भी रेलवे को 50 शिकायत पत्र दिए है, उस मामले में क्या कार्रवाई हुई ? जिसका कोई भी जवाब रेलवे अधिकारियों के पास नहीं थी.
पार्किंग प्रतिनिधि इस बात पर अडिग थे कि नियमों के हिसाब से उसका जुर्माना वसूला जाए, लेकिन साथ में नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने वाले व्यक्ति का भी जुर्माना लिया जाए और उसे ये बताया जाए कि उसकी सैकड़ों शिकायतों का क्या हुआ.
रेलवे के अधिकारी खुद इतनी निंद में थे कि पूछताछ के पहले तक उन्हें ये भी नहीं पता था कि जो लड़की नो पार्किंग में अवैध वसूली कर रही थी उसे आईडी कार्ड किसने जारी किया.
पहले स्टेशन मास्टर और कमर्शियल स्टेशन अधीक्षक आरपीएफ इंस्पेक्टर के सामने ये तक कहते रहे कि उक्त लड़की को कोई भी आईडी कार्ड जारी नहीं किया गया है और वो कार्ड फर्जी है. जिसके बाद करीब आधे घंटे तक उक्त लड़की के आने का इंतेजार किया गया. आई कार्ड में हस्ताक्षर देखने के बाद उनकी निंद खुली और उन्हें पता चला कि हस्ताक्षर किसके है, जिसके बाद स्टेशन मास्टर ने पुनः हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को अपने चेंबर में बुलाया और पूछा.
हैरानी की बात ये है कि उनका भी जवाब था, हस्ताक्षर तो मेरे ही है, लेकिन मुझे ध्यान नहीं है कि ये मैंने कब किए. इसके बाद स्टेशन डायरेक्टर ने ये कहा कि कार्ड तो ठीक है, लड़की का पुलिस वेरिफिकेशन कहां है ? जो वहां मौजूद नहीं था. इसके बाद पार्किंग प्रतिनिधि ने ये जवाब दिया कि वेरिफिकेशन के लिए पत्र लिखेंगे. साथ ही प्रतिनिधि ने एक किसी अन्य वेंडर या स्टॉफ का वेरिफिकेशन पत्र देखने मांगा तो रेलवे अधिकारियों के पास भी उस वक्त मौजूद नहीं था.
आपके पास तो गाड़ी मालिक का नंबर है क्या आपने उसे बुलाकर बयान लिया ?
अब सबसे प्रमुख सवाल ये कि जितनी तेजी से सीनियर डीसीएम ने स्पष्टीकरण बनवाया क्या उतनी तेजी से वे कैफे लाइट के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच नहीं कर सकते ? क्या वे इतने दिनों से चल रहे इस खेल को अपने कमरे में बैठकर या कैफे लाइट जाकर वहां सीसीटीवी कैमरे चेक नहीं कर सकते कि क्या सच में वहां 20-20 रूपए की अवैध वसूली हो रही थी या नहीं ? लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे और क्यों नहीं करेंगे ये वे बेहतर जानते हैं, क्योंकि यदि ऐसा हो गया तो बात दूर तक जाएगी.
सीनियर डीसीएम साहब ये भी बता दीजिए क्या नो पार्किंग से गाड़ी हटाने की अनुमति आपने दी ?
सबसे हैरानी की बात ये है कि रेलवे ने अपने स्पष्टीकरण में ये लिखा है कि उक्त महिला स्टॉफ से जब पूछताछ की गई तो उसने ये बताया कि पार्किंग मैनेजर ने उसे नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को हटाने के लिए रखा है. यानी ये स्पष्ट है कि पार्किंग ठेकेदार के पास उक्त स्टॉफ काम करती है. तो क्या सीनियर डीसीएम साहब आपने पार्किंग ठेकेदार को यहां स्टॉफ लगाने की अनुमति दी ? क्योंकि आपने अपने स्पष्टीकरण में तो यही लिखा है कि वो लड़की अपनी ड्यूटी कर रही थी. अब आप ही बता दीजिए कि क्या जहां वो ड्यूटी कर रही थी वो ठेका के मुताबिक पार्किंग ठेकेदार के अधीन आने वाली जगह है ? यदि हां तब तो ये ड्यूटी सही थी, लेकिन यदि ना तो आप ही बता दीजिए कि वहां ड्यूटी करने की अनुमति आपने क्यों दी और किस नियम के हिसाब से आप पार्किंग क्षेत्र के अलावा रेलवे स्टेशन परिसर के अन्य क्षेत्रों में पार्किंग ठेकेदार गाड़ियों को हटाने अपने स्टॉफ लगा रहा है ? और यदि ये नियुक्ति सही है तो रेलवे स्टेशन में ऐसी और नियुक्तियों की जरूरत है, जहां नो पार्किंग में गाड़ियां खड़ी रहती है और पार्किंग ठेकेदार और आपकी मेहरबानी से वहां पार्किंग ठेकेदार के कर्मचारी काम करेंगे और रेलवे स्टेशन में यहां-वहां गाड़ी खड़ी होने की समस्या दूर हो जाएगी.
लेकिन एक जवाब आपसे और चाहिए था, जब ठेकेदार को नो पार्किंग से गाड़ी हटाने की अनुमति आपको देनी ही थी तो इतने दिनों तक आप ठेकेदार के शिकायत पत्रों को मार्क कर केवल आरपीएफ कमांडेंट के पास क्यों भेज रहे थे ? इसकी अनुमति तो आप पहले भी दे सकते थे, जैसे आपने अभी दी है.