अमित कोड़ले, बैतूल। बैतूल जिले के एक स्कूल के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। जिसमें बच्चे गोंडी म्यूजिक पर तैयार 2 से लेकर 20 तक के पहाड़े डांस कर याद कर रहे हैं। सरकारी स्कूल से इस्तीफा देकर म्यूजिक कंपोजर बने राजेश सरियाम ने गीत के माध्यम से पहाड़े के पिरोए हैं। जो अब गोंडी संगीत के माध्यम से आदिवासी लोक कलाओं का प्रचार कर रहे हैं। 

दरअसल, किसी भी छात्र के लिए गणित की पढ़ाई में पहाड़ा याद करना सबसे जरूरी है। लेकिन अक्सर पहाड़ा याद करना छात्रों के लिए थोड़ी बोरिंग हो जाता है, लेकिन बैतूल के केलापुर मिडिल स्कूल के बच्चे म्यूजिक के साथ पहाड़े याद कर रहे हैं। इस तरीके को छात्र भी बेहद पसंद कर रहे हैं। 

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बता दें कि राजेश सरियाम ने जो कि पहले खुद एक शिक्षक थे, लेकिन साल 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि वो चुनाव हार गए, लेकिन फिर एक नई पारी शुरू करते हुए म्यूजिक कंपोजर बन गए और आदिवासी लोक संगीत पर काम शुरू किया। इसी दौरान उन्हें एक तरकीब सूझी और राजेश ने बच्चों के लिए पहाड़े याद करने का ये नायाब तरीका खोज लिया। जिस स्कूल में ये प्रयोग शुरू किया गया वहां राजेश की पत्नी भी बतौर शिक्षिका पदस्थ हैं। 

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पहाड़ों पर आधारित इन गीतों के बेहतर नतीजे भी सामने आ रहे हैं। गीत और डांस के माध्यम से बच्चों को पहाड़े भी याद हो जाते हैं और मनोरंजन भी हो जाता है। शिक्षकों के लिए भी ये स्ट्रेस मैनेजमेंट जैसा काम हो गया है। 

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इस प्रयोग के अच्छे नतीजे देखते हुए शिक्षा विभाग भी पूरे जिले में इसे लागू कर सकता है लेकिन आधिकारिक तौर पर अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। जिले के दूरस्थ अंचलों के स्कूलों में मनोरंजन आधारित शिक्षा के लिए ये प्रयोग काफी कारगर साबित हो सकता है। 

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