आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. बस्तर संभाग में बीते 3 सालों में 40 हजार बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं. इसमें प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक के बच्चे शामिल हैं. बच्चों की लगातार पढ़ाई छोड़ने की वजहों को लेकर शिक्षा विभाग के पास कोई उचित जवाब नहीं है. राइट टू एजुकेशन एक्ट (right to education act) लागू होने के बावजूद भी प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की पढ़ाई में बच्चों को जोड़े रखने में शिक्षक कामयाब नहीं हो रहे हैं.

शिक्षा विभाग की वेबसाइट यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम (Unified District Information System) से मिले आंकड़ों के मुताबिक बस्तर जिले में बीते 3 सालों में करीब 2 हजार बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी है. जबकि पूरे बस्तर संभाग में यह आंकड़ा 40 हजार के करीब है. प्राथमिक कक्षाओं के 12 हजार 256 बच्चों ने स्कूल छोड़ा है. जबकि माध्यमिक कक्षा में 13 हजार 495 बच्चे शिक्षा से दूर हो चुके हैं. हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी में भी बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई छोड़कर ड्रॉप आउट की श्रेणी में है.

प्रशासनिक तैयारियों पर सवालिया निशान

ऐसे समय जब नक्सल प्रभावित इलाकों में भी बंद पड़े स्कूलों को खोलने का दावा किया जा रहा है, पोटा केबिन कस्तूरबा आश्रम जैसी सुविधाएं संचालित की जा रही हैं, जिला स्तर पर केंद्रीय विद्यालय आत्मानंद स्कूल खोले जा रहे हैं, ऐसे में इन ड्रॉपआउट बच्चों के आंकड़े प्रशासनिक तैयारियों पर सवालिया निशान उठाते हैं. अंदरूनी इलाकों में अभी हालात ऐसे हैं कि शिक्षक महीनों स्कूल नहीं जाते. जिसकी वजह से छात्रों की नियमित पढ़ाई नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि ड्रॉपआउट करने वाले बच्चों की आशंका कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा थी. लेकिन इसकी बजाय छत्तीसगढ़ में 2020-21 में जहां बच्चों का ड्रॉपआउट रेट 13.4% था, वहीं साल 2019-20 में यह 18 प्रतिशत था.

शिक्षा के आड़े आ रहा लाल आतंक

बच्चों के पढ़ाई छोड़ने का कराण कहीं ना कहीं नक्सली भी है. क्योंकि नक्सल क्षेत्रों में नक्सलियों की अपनी अलग पाठशाला चलती है और वे स्थानीय बच्चों को स्कूलों में जाने से रोकते हैं, ये बच्चों को अपनी ही पाठशाला में आने के लिए दबाव बनाते हैं, जिससे स्थानीय लोगों में उनकी दहशत बनी रहे. वहीं इसका दूसरा कारण शिक्षकों का महीनों तक स्कूल नहीं आना भी हो सकता है. अंदरूनी इलाका या पहुंचविहीन क्षेत्रों में शिक्षक स्कूल नहीं पहुंच पाते, जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.

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