पूंजी बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने म्यूचुअल फंड यूनिट (Mutual Fund Unit) की खरीद-बिक्री को इनसाइडर ट्रेडिंग संबंधी नियमों के दायरे में लाने के लिए नियमों में बदलाव किया है. SEBI ने म्यूचुअल फंड इकाइयों की खरीद और बिक्री को इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में ला दिया है.

वर्तमान में इनसाइडर ट्रेडिंग के नियम सूचीबद्ध कंपनियों या सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित प्रतिभूतियों पर लागू होते हैं. फिलहाल, म्यूचुअल फंड की इकाइयों को प्रतिभूतियों की परिभाषा से बाहर रखा गया था. सेबी का नया नियम नियम 24 नवंबर से प्रभावी हो गया है.

सेबी का ताजा फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन मामले के बाद आया है, जिसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने छह ऋण योजनाओं पर रोक लगाए जाने से पहले उन योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी को रिडीम किया था.

सेबी ने गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में कहा, कोई भी अंदरूनी सूत्र किसी अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी से परिचित होने की स्थिति में म्यूचुअल फंड की ऐसी किसी योजना की इकाइयों में लेनदेन नहीं करेगा, जिसके शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य पर उस जानकारी के कारण प्रभाव पड़ सकता है. नए नियमों के तहत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को अपनी म्यूचुअल फंड योजनाओं की इकाइयों में एएमसी, ट्रस्टियों और उनके करीबी रिश्तेदारों की हिस्सेदारी का खुलासा करना होगा.

AMCs के लिए कुछ और गाइडलाइंस लेकर आई है सेबी

पिछले दिनों सेबी ने असेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिए कुछ और गाइडलाइंस भी जारी की थीं. इसके तहत म्यूचुअल फंड यूनिटहोल्डर्स को मिलने वाले डिविडेंड और यूनिट रिडीम कराने पर मिले अमाउंट के ट्रांसफर को एक निश्चित अवधि के अंदर भेज देना होगा. 17 नवंबर को जारी किए गए एक अधिसूचना में कहा गया था कि नये नियम के तहत प्रत्येक म्यूचुअल फंड और संपत्ति प्रबंधन कंपनी को यूनिटधारकों को लाभांश भुगतान और यूनिट भुनाने या पुनर्खरीद राशि सेबी की तरफ से तय अवधि के भीतर अंतरण करने की जरूरत होगी, ऐसा नहीं करने पर उन कंपनियों पर जुर्माना लगेगा.

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