स्पोर्ट्स डेस्क. जापान के कोच हाजिमे मोरियासू ने स्पेन पर जीत से नॉकआउट दौर में पहुंचने के बाद कहा कि जैसे जैसे मैच खत्म हो रहा था, वह कतर में 1993 में इराक के खिलाफ क्वालीफाइंग मैच के बारे में सोच रहे थे. जिसमें हार से उनकी टीम पहली बार फीफा विश्व कप के लिए क्वॉलीफाई करने से महरूम रह गई थी. तब वह जापान की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में मिडफील्डर थे और अब वह टीम के कोच हैं. तो उन्होंने एक तरह से उस प्रदर्शन की भरपाई की.
जापान ने गुरुवार देर रात खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम में 2010 की चैम्पियन स्पेन पर 2-1 से जीत दर्ज की. पिछले हफ्ते टीम ने 2014 चैम्पियन जर्मनी को इसी स्कोर से हराकर उलटफेर किया था.
तब ‘स्टॉपेज टाइम’ में टीम ने गंवाया था गोल
दोहा में 29 वर्ष पहले के मैच में बारे में याद करते हुए मोरियासू ने कहा कि मैच खत्म होने से एक मिनट पहले मुझे दोहा की दुखद घटना याद आ गई थी. दोहा में 1993 में अंतिम क्वालीफायर में जापान 2-1 से बढ़त बनाए थी लेकिन ‘स्टॉपेज टाइम’ में टीम ने गोल गंवा दिया था और उनकी पहली बार विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने की उम्मीद के साथ मोरियासू का दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट में खेलने का सपना भी टूट गया था. लेकिन, इस बार मोरियासू ने कोच के तौर पर अपनी टीम को शानदार तरीके से ग्रुप-ई में शीर्ष पर पहुंचाकर नाकआउट में पहुंचाया.
टीम के आक्रामक रक्षण की तारीफ की
मोरियासू ने टीम के आक्रामक रक्षण की प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं महसूस कर सकता था कि समय बदल गया है. अब खिलाड़ी नई तरह के फुटबॉल खेलते हैं, मुझे ऐसा ही लगता है. अब जापान का सामना क्रोएशिया से होगा जो 4 वर्ष पहले रूस में फाइनल में पहुंची थी. सोमवार को एक और जीत जापान को पहली बार विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचा देगी. कोच ने कहा कि हम इस जीत को जापान के लोगों को समर्पित कर रहे हैं.