अमृतांशी जोशी,भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी की आज 38वीं बरसी है. इस अवसर पर बरकतउल्ला भवन सेंट्रल लाइब्रेरी में सर्वधर्म प्राथना सभा का आयोजन कर दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई. धर्मगुरुओं ने सभी धर्मों के ग्रंथों का पाठ किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रधांजलि दी.

सीएम शिवराज ने कहा कि अलग अलग लोगों की अलग कर्तव्य है. सब अपने ड्यूटी का पालन करे, तो अपना जीवन धन्य हो जाएगा. किसी दूसरे की गलती के कारण कोई चला गया. कंपनी के कंट्रोल नहीं रखने के कारण, ज़िम्मेदारी और लापरवाही के कारण मासूम बच्चों की भी मौत हो गई. दरमियानी रात कभी भुलाए नहीं भूलते. क्या दृश्य था. जिन्होंने जिम्मेदारी नहीं निभाई उनको सजा मिलनी चाहिए.

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शिवराज ने आगे कहा कि प्रकृति से खेलना पूरी तरह ग़लत है. विकास के नाम पर हम प्रकृति का विनाश कर रहे हैं. अगर आज भी नहीं सोचा तो ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज होगा. हम प्रकृति का शोषण कर रहे हैं. इंसान को भी परिणाम भुगतना पड़ेगा. ये हमें एक संदेश देती है. ये धरती सबके लिए है, उनको भी जीने का हक है. विकास और पर्यावरण में संतुलन रहे. इंसान अपनी हद में रहे. सीमा में रहे. हमें पर्यावरण बचाने की ड्यूटी पूरी करनी चाहिए.

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हमारा कर्तव्य है कि हम बेईमानी का काम करने को साफ करते चले. मैं साक्षी ही उस घटना का. आज भी कोई भूलता नहीं है. गैस पीड़ित आज भी ज़िंदा है और शरीर भी जर्जर हो गए. उनके साथ हम खड़े है. सब कुछ परफ़ेक्ट की बात नहीं कर रहे, लेकिन बेहतर से बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं.

बता दें कि दुनिया की सबसे भीषण मानवीय त्रासदी 1984 में आज के दिन यानी 3 दिसंबर को भोपाल में हुई थी. तबाही का वो ऐसा मंजर था जिसमें सड़कों पर लाशें बिछी हुई थीं. हजारों लोग जो रात को सोए वो सुबह नहीं देख पाए. सर्द रात में 1 बजे तक तो सबकुछ ठीक था. पर देर रात जब जहरीली गैस का रिसाव हुआ तो लोगों को आंखों में जलन, सीने में घुटन हुई तो घबराकर बाहर निकले और जान बचाने के लिए दौड़ पड़े. केमिकल फैक्टरी से जहरीली गैस के रिसाव ने देखते ही देखते हजारों लोगों को जिंदगी को लील लिया. ज​हरीली गैस का प्रभाव केवल कुछ दिन नहीं, बल्कि अगली पीढ़ियों ने भी भुगता है. सबसे दुखद बात ये है कि हादसे के जिम्‍मेदार आरोपी को कभी सजा नहीं हो पाई. 

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