कुंडली में तीसरा स्थान आत्मबल का होता है. तीसरे स्थान का स्वामी बुध और उसका ग्रह का देव गणेशजी हैं. मनुष्य का सबसे बड़ा संबल उसका आत्मविश्वास ही होता है. आत्मविश्वास वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है. आत्मविश्वास एक अद्भुत शक्ति होती है. आत्मविश्वास कम होता है तो इससे हीनभावना जागृत होती है.
जिंदगी में कामयाब होने के लिए आत्मविश्वास सबसे जरूरी है. आत्म विश्वास में वह शक्ति है, जो सहस्रों विपत्तियों का सामना कर उनमें विजय प्राप्त करा सकती है. निर्धन का धन, असहाय का सहायक, अशक्त की सामर्थ्य यदि कोई है तो वह उसका आत्मविश्वास ही हो सकता है. क्यो किसी में आत्मविश्वास कम होता है और किसी में ज्यादा.
आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्णय को विकसित कैसें करें, इसे ग्रहों से जानेंगे. किसी भी जातक की कुंडली में लग्न, दूसरे, तीसरे तथा एकादश स्थान के ग्रहों से कर्म और मनोबल को जाना जा सकता है. अगर किसी जातक की कुंडली में लग्न या तीसरा स्थान विपरीतकारक अथवा प्रतिकूल हो जाए. अथवा इस स्थान पर क्रूर ग्रह हो या पाप प्रभाव में हो.
जातक के जीवन में आत्मविश्वास तथा आत्मसंयम की कमी के कारण जीवन में सफलता दूर रहती है. इसी प्रकार एकादश स्थान का स्वामी क्रूर ग्रहों से पापक्रांत हो अथवा छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो. अनियमित दिनचर्या के कारण समय तथा क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते, और आत्मबल कमजोर कर लेते हैं.
उपाय
- मन के लिए मन के कारक ग्रह चंद्रमा का मंत्रजाप ॐ नम: शिवाय का जाप करें.
- बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए गणेशजी जी पुजा करें.
- अनुशासन रखना चाहिए.
- पौधो का रोपण और दान करें.
- हरी मूंग के पेड़े का प्रसाद बांटे.
- तीसरे स्थान के ग्रह अथवा बुध के लिए पन्ना धारण करें.