रायपुर। प्रख्यात गांधीवादी और 4 बार के लोकसभा सांसद रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का निधन हो गया है. उम्र के 90 पड़ाव पूर कर चुके केयूर भूषण लंबे समय से बीमार चल रहे थे, आज उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली.
जन्म 1 मार्च, 1928 ग्राम जाँता, जिला दुर्ग में हुआ. छत्तीसगढ़ी शासन का पं. रविशंकर शुक्ल सदभावना पुरस्कार 2001 से सम्मानित. सन् 1980 से सन् 1999 तक रायपुर लोकसभा में संसद-सदस्य राजनीति और समाजसेवा में छात्रवस्था से कार्यरत हो जाने से मिडिल स्कूल से आगे नहीं पढ़ सके कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी तथा सर्वोदय में कार्य किया और कई बार जेल गये.
ये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, पत्रकार और छत्तीसगढ़ी साहित्यकार हैं। इन्होंने सोना कैना (नाटक), मोंगरा (कहानी), बनिहार (गीत), कुल के मरजाद (छत्तीसगढ़ी उपन्यास), लहर (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह) इत्यादि की रचना की। इन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 में 9 माह की जेल एवं कुल चार वर्ष जेल में काटे। ये किसान मजदूरआन्दोलन से जुड़े एवं अस्सी के दशक में रायपुर से लोकसभा सांसद बने।
छत्तीसगढ़ी रचनाएँ
लहर (कविता संग्रह)
कुल के मरजाद (उपन्यास)
कहां बिलागे मोर धान के कटोरा (उपन्यास)
नित्य प्रवाह (प्रार्थना एवं भजन)
कालू भगत (कहानी संग्रह)
आंसू म फ़िले अचरा (कहानी संग्रह)
मोर मयारुक
हीरा के पीरा (निबंध संग्रह)
डोंगराही रद्दा (कहानी संग्रह)
लोक-लाज (उपन्यास)
समें के बलिहारी(उपन्यास)
छत्तीसगढ़ के नारी रत्न
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साभार: कविता कोश