Grass Farming Earning News: देश में कई किसान अब पारंपरिक खेती के बजाय उस तरह की खेती पर काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी. गुजरात के नडियाद के खेड़ा में रहने वाले किसान चिंतन पटेल ने कैटल फीड स्टार्टअप (Grass Farming Earning News) शुरू किया है. वह एक एकड़ जमीन में 500 टन घास उगाने में सफल रहे हैं. मीठे दूधिया बाजरे की मदद से चिंतन पटेल न केवल खुद अच्छी कमाई कर रहे हैं, बल्कि आसपास के किसानों का जीवन भी बदल रहे हैं. किसान चिंतन ने एक एकड़ में घास की खेती से सालाना 20 लाख की कमाई कर रहे.

Grass Farming Earning

चिंतन पटेल 200-200 किलो चौलाई, सहजन की पत्तियों को पशु आहार में मिलाते हैं, जिसमें 16 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है. आसपास के किसानों के लिए दुधारू पशुओं के चारे की समस्या खत्म होने से किसान काफी खुश हैं. चिंतन हरा चारा ₹ 2 प्रति किलो बेचता है. चिंतन की खेती जैविक खेती का बेजोड़ उदाहरण है. चिंतन पटेल ने हरा चारा उपलब्ध कराकर आसपास के किसानों का जीवन आसान किया है.

चिंतन पटेल की पिछली चार पीढ़ियों में से किसी ने भी खेती नहीं की, उनके पास कृषि भूमि भी नहीं है. चिंतन पटेल कॉरपोरेट जॉब करते थे और खेती का पेशा उन्हें हमेशा आकर्षित करता था. उसके कई दोस्त हैं, जिनके पास काफी जमीन है, लेकिन वह कमा नहीं पा रहा था. वास्तव में किसान कृषि उपज के मूल्य के पीछे भागते हैं न कि उत्पादन के पीछे. भारत में खेतों की मिट्टी की उत्पादन क्षमता कमजोर हो गई है, जिससे किसान की उपज सही नहीं हो पाती है.

पहले साल में ही 500 टन चारा उगाने में सफल

अगर आपके खेत की मिट्टी आपको पर्याप्त उपज देती है तो आप कम रेट पर सामान बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं. चिंतन पटेल ने बताया कि घास चारा उगाने वाले किसान एक साल में 100 टन प्रति एकड़ तक उगा सकते हैं. चिंतन ने मिट्टी की सेहत सुधार कर अपने हरे चारे का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की. पहले साल में ही 500 टन चारा उगाने में सफल हो गए.

दुग्ध उत्पादकों की दूसरे चारे पर निर्भरता खत्म की

हरा चारा (Grass Farming Earning) उगाने वाले किसान आमतौर पर घास उगाने का काम एक बार यूरिया डालकर, पानी डालकर और कोई दवा देकर करते थे. चिंतन ने कहा कि उन्होंने मिट्टी की उपज क्षमता बढ़ाने के लिए जैविक उत्पादों का इस्तेमाल शुरू किया. मवेशियों के लिए हरा चारा उगाने वाले चिंतन पटेल ने दुग्ध उत्पादक किसानों की दूसरे चारे पर निर्भरता खत्म कर दी है. हरे चारे में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होने और सब कुछ जैविक होने से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उनका दूध भी बढ़ा है. गुजरात के खेड़ा के किसान चिंतन पटेल ने इसी तरह एक एकड़ में घास की खेती से सालाना 20 लाख की कमाई की.

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