रंजन दास, बीजापुर। आवापल्ली में संचालित शासकीय महाविद्यालय अब शहीद नांगूल दोरला के नाम से होगा, जिसका निर्णय विगत 10 दिसम्बर को बीजापुर में हुए बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में लिया गया है. इसके साथ ही विकास खण्ड मुख्यालय आवापल्ली में 10 लाख रुपए की लागत से शहीद नांगूल दोरला की विशाल प्रतिमा और भोपालपटनम के ग्राम गोरला में दस लाख रुपए की लागत से शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा स्थापित होगी.
कौन थे “शहीद नांगूल दोरला”
वर्ष 1859 में अंग्रेज़ी शासन के समय बीजापुर ज़िले के पोतकेल, भेज्जी और कटपल्ली क्षेत्र में साल वनों की कटाई के विरुद्ध एक आदिवासी आंदोलन शुरू किया गया था, जो कि कोई विद्रोह के नाम से पूरे देश में जाना जाता है.
कोई विद्रोह भारत का पहला ज्ञात सफल पर्यावरण और जल, जंगल और ज़मीन को बचाने का आंदोलन है. जंगल की कटाई के काम ने जैसे ही गति पकड़ी आदिवासी ज़मींदारों ने मिलकर यह तय किया कि अब जंगल और काटने नही जाएंगे.
मांझियों ने एकराय होकर फ़ैसला किया कि एक पेड़ के पीछे एक सिर होगा. इस आंदोलन में एक वृक्ष एक सिर नारा दिया गया. आंदोलन के नेतृत्वकर्ता नांगूल दोरला की अगुवाई में आदिवासी ज़मीदारों के इस विद्रोह के सामने अंग्रेज़ सेना को भी अपने पैर खींचने पड़े. साथ ही निज़ाम के आदमियों को दिए गए ठेके निरस्त किए गए. कोई आंदोलन ने अपनी सफलता का इतिहास रच दिया.
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