रायपुर. एक ओर राज्य सरकार द्वारा संविदा कर्मचारियों को नियमित किये जाने से संबंधित प्रक्रिया चल रही है, वहीं दूसरी ओर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में मनरेगा योजनांतर्गत पेनाल्टी के रूप में पूर्व में नियोक्ता द्वारा जमा किये गए 3 वर्ष के कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारी के अंशदान की राशि को कर्मचारियों से वसूलने के आदेश से मनरेगाकमिर्यों में हड़कंप मच गया है. जिसे लेकर मनरेगा कर्मचारी ने अपने अल्प वेतन और आर्थिक एवं मानसिक स्तिथि की दुहाई देते हुए इस आदेश को निरस्त करने के लिए आयुक्त, महात्मा गांधी नरेगा को पत्र लिखकर गुहार लगाई है.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) संगठन द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूर्व के वर्षो में यदि कर्मचारियों के वेतन से अंशदान की कटौती नहीं की गई है तो नियोक्ता द्वारा अपने अंश के साथ-साथ कर्मचारी का अंशदान भी जमा करना होगा और साथ में उक्त अवधि के लंबित भुगतान के लिए जुर्माना भी देना होगा. 28 मई 2020 को सचिव, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा कि महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर नियुक्त संविदा अमलों के कर्मचारी भविष्य निधि की राशि की कटौती की जिम्मेदारी नियोक्ता की है. EPF कटौती कर जमा करने में विलंब की दशा में पेनाल्टी का प्रावधान है.
अप्रैल, 2015 से जून 2018 की अवधि में कार्यरत संविदा अधिकारियों / कर्मचारियों की लंबित कर्मचारी भविष्य निधि का अंशदान (नियोक्ता एवं कर्मचारी का अंशदान ) जमा करने के लिए प्रशासनिक मद में व्यय सीमा / पात्रता राशि का माहवार आंकलन किया जाकर शेष बच रही राशि से जितने माह का लंबित अंशदान जमा किया जा सकता है, वो किया जाए.
उक्त आदेश के बाद इन कर्मचारियों की लंबित कर्मचारी भविष्य निधि के अंशदान का भुगतान नियोक्ता के द्वारा किया गया है.
लेकिन मनरेगा आयुक्त अब्दुल केसर हक के दारा उक्त आदेश को दरकिनार करते हुए 29 नवंबर 2022 को कर्मचारी भविष्य निधि रायपुर से हुई चर्चा और दिए गए सुझाव का हवाला देते हुए सभी कलेक्टर को पत्र जारी कर कहा है कि उक्त अवधि में कार्यरत अधिकारियों / कर्मचारी को पूर्ण वेतन भुगतान होने के बाद भी अप्रैल 2015 से जून 2018 तक के लंबित कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान ( कर्मचारी एवं नियोक्ता) भुगतान EPF कार्यालय को किया गया है. सभी नियोक्ता संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों से उस अवधि का कर्मचारी अंशदान वसूली किया जाए, साथ ही राज्य कार्यालय के खाते में जमा कर अवगत कराएं.
मनरेगा कर्मचारी इस पत्र से क्षुब्ध हैं. इनका कहना है कि उक्त अवधि के कर्मचारियों के भविष्य निधि के नियम अनुसार अंशदान और जुर्माना के तौर पर दिया गया है. इसलिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देश आए बिना कर्मचारियों से वसूला जाना न्याय संगत नहीं है. यदि आयुक्त के निर्देशानुसार अप्रैल 2015 से जून 2018 तक का कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारी का अंशदान वसूला जाता है, तो इन संविदा कर्मचारियों से लगभग 35 करोड़ रुपये की वसूली होगी.
दबी जुबान में यह भी बात सामने आ रही है कि मनरेगा कर्मचारियों के 66 दिन हड़ताल के बाद इन संविदा कर्मचारियों को आयुक्त मनरेगा लगातार आर्थिक और मानसिक क्षति पहुंचाने पत्राचार कर रहे हैं. अभी हाल ही में जिला स्तर के सभी अधिकारियों और ब्लॉक के कार्यक्रम अधिकारियों का चरित्र प्रमाण पत्र अपने पास मंगवाने का आदेश भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
बता दें कि प्रदेश में करीब 12000 से ज्यादा मनरेगा कर्मचारी हैं. यदि इनके खाते से पेनाल्टी ली जाती है तो एक कर्मचारी पर करीब-करीब 40 से 45 हजार रुपये तक का भार पड़ेगा.
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