रायपुर। छत्तीसगढ़ के पश्चिमी इलाके के अंतिम छोर में घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे साल्हेवारा और बकरकट्टा की पहचान कभी नक्सल प्रभावित इलाके की रही है, लेकिन अब यहां की पहचान नक्सलवाद नहीं, बल्कि यहां हो रहे विकास की है. इसकी बानगी ये है कि यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने मध्यप्रदेश के निवासी भी आ रहे हैं. नवगठित खैरागढ़ जिले के साल्हेवारा और बकरकट्टा में मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना के तहत मेडिकल वैन साप्ताहिक हाट-बाजार में खड़ी होती है. यहां से मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की सीमा सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर है.

वहां से कई ग्रामीण यहां बाजार करने आते हैं और वैन खड़ी देख वहीं अपना चेक-अप कराते हैं. बालाघाट जिले के कचनारी गांव के निवासी प्रीतम राम ने बताया कि उनके गांव में स्वास्थ्य सुविधायें न के बराबर हैं. ऐसे में यहां साल्हेवारा में मंगलवार और रामपुर में बुधवार बाजार करने आते हैं. बाजार में खड़ी मेडिकल वैन में ही अपना कई बार चेक-अप कराया है.

यहां की गयी जांच में पता चला कि मुझे मोतियाबिंद है, जिससे समय रहते इलाज कराने से मेरी आंख ठीक हो गयी. रामपुर के हाट-बाजार में इसी गांव के रहने वाले रामप्रसाद बताते हैं कि यहां हुई जांच में पता चला कि मेरा बीपी बढ़ा रहता है, यहां से फ्री में दवा भी मिल रही है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर शुरू की गयी इस योजना की लोकप्रियता का आलम ये है कि साप्ताहिक बाजार में वैन के पास चेकअप कराने के लिये हमेशा भीड़ बनी रहती है. यही नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साल्हेवारा की ओपीडी में दिखाकर भी पड़ोसी राज्य के मरीज स्वास्थ्य लाभ रहे हैं. इस स्वास्थय केंद्र में प्रतिदिन औसतन सौ से अधिक मरीज आते हैं, जिनमें से दस प्रतिशत मध्यप्रदेश से होते हैं.

अब तक 63 लाख से अधिक ग्रामीणों ने करायी जांच- राज्य में मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना से अब तक करीब 63 लाख से अधिक ग्रामीण लाभ ले चुके हैं. राज्य में प्रति सप्ताह 1798 हाट बाजार क्लीनिक में 4289 डेडिकेटेड वाहन और मेडिकल स्टाफ में जरिये स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं. हाल ही में हाट बाजार क्लीनिक से रेफर किये गये मरीजों के फॉलो-अप के लिए ऑन लाइन सिस्टम शुरू किया गया है.

हाट बाजार क्लीनिक योजना के जरिये दूरस्थ क्षेत्रों में मेडिकल वैन में मुफ्त में हेल्थ चेकअप एवं दवा वितरण , पैथोलॉजी जांच और उपचार किया जा रहा है. यह योजना उन ग्रामीणों के लिए बहुत सुविधा दे रही है जो किसी वजह से अस्पताल नहीं जा पाते हैं. वे घूमते-फिरते बाजार आते हैं और वैन खड़ी देख अपना चेकअप करा लेते हैं. यहां बीपी, सुगर, मलेरिया, मोतियाबिंद जैसी सामान्य जांच तुरन्त हो जाती हैं या उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आने की सलाह दी जाती है, जिससे मरीज की बीमारी बढ़ने से पहले नियंत्रित की जा सकती है.

नक्सलियों को खदेड़ा, सड़कें बनायीं और बेहतर हुईं स्वास्थ्य सुविधाएं-

एक समय था जब साल्हेवारा और बकरकट्टा में नक्सलियों के भय से लोग भयभीत होते थे, लेकिन पिछले चार साल में इस इलाके की तस्वीर बदल गयी है. यहां बेहतर होती स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा कारण यहां नई बनी सड़कें हैं. बकरकट्टा और साल्हेवारा में सड़कों का जाल बिछाया गया है.

ब्लॉक मुख्यालय छुईखदान जाने के लिये बकरकट्टा के लोगों को साल्हेवार से नर्मदा होते हुये 70 किलोमीटर घूमकर जाना होता था, लेकिन पिछले साल छुईखदान से कुम्हारवाड़ा होते हुये बकरकट्टा तक सड़क बन जाने से 70 किलोमीटर की दूरी घटकर सिर्फ 35 किलोमीटर रह गयी है. इसके साथ ही साल्हेवारा से नर्मदा तक 35 किलोमीटर और साल्हेवारा से बकरकट्टा तक 40 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा हो गया है.

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