रायगढ़. पुसौर विकासखण्ड में स्थित रायगढ़ एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड के आसपास के ग्रामों की 10 महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखी जा रही है. ग्राम छोटे भंडार, अमलीभौना, जेवरीडीह और बुनगा में अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से विशेषज्ञों द्वारा समूहों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया और तकनीकी मार्गदर्शन में उन्हें मशरूम की खेती से संबंधित आवश्यक सामग्रियों जैसे कि मशरूम बीज, पॉलीथीन बैग्स, चाक पाउडर इत्यादि का सहयोग देकर उत्पादन के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है.

अदाणी फाउंडेशन के प्रवक्ता ने इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा, वर्तमान में मशरूम की खेती के लिए 10 स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें से अब तक 48 महिलाएं जुड़ चुकी हैं. इसका मक़सद महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. इन महिला समूहों द्वारा पैडी स्ट्रॉ एवं ऑएस्टेर मशरूम का उत्पादन कर ग्राम एवं स्थानीय स्तर पर ही बेचा जा रहा है एवं अभी तक इन समूहों द्वारा 6 महीनों में कुल 430 किलो मशरूम का उत्पादन किया गया है, जिसे स्थानीय बाजार में बिक्री कर करीब 75,000 रुपये की आय अर्जित हुई. समूह की महिलाओं द्वारा अपने मशरूम के व्यवसाय को विस्तार करने के उदेश्य से “शिखर मशरूम भंडार समिति” का गठन भी किया गया है, जिसके माध्यम से बाजार मांग के अनुरूप उत्पादन, आपूर्ति और मार्केटिंग का कार्य व्यवस्थित तौर से किया जा रहा है.

ग्राम बुनगा के भारती स्वयं सहायता समूह की संध्या साव उन महिला उद्यमियों में शामिल हैं, जो इस पहल पर काम कर रही हैं और आत्मनिर्भर भारत तथा महिला सशक्तिकरण का अनोखा उदाहरण पेश कर रही हैं. संध्या साव ने कहा, मेरे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर बहुत पैसा ख़र्च होता है. जिसका खर्च वहन करने में मेरे परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जब मुझे अदाणी फाउंडेशन के इस पहल के बारे में पता चला तो मैं और मेरे समूह के सदस्य घर पर मशरूम उगाने और स्थानीय बाजार में बेच कर आय अर्जित करने काफी उत्साहित हुए.

आगे संध्या साव ने कहा, हमने फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद दिए गए निःशुल्क मशरूम बीज और अन्य सामग्रियों की मदद से मैंने और हमारे समूह की अन्य सदस्यों ने बहुत ही कम निवेश में मशरूम खेती का व्यवसाय प्रारंभ किया. अभी हम लोगों द्वारा उत्पादित मशरूम की आसपास के गांवों में बहुत मांग है और हम लोग आएस्टर और पैडी स्ट्रॉ मशरूम की बिक्री से लाभ अर्जित कर रहे हैं और अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम होने के साथ ही आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं.

इसी प्रकार ग्राम छोटे भंडार के गृह लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की सदस्य रेवती यादव ने बताया कि, मेरे पति मजदूरी का काम कर के परिवार को चला रहे हैं. उनके इस काम में मैं भी हाथ बंटाती थी, लेकिन परिवार के अन्य कामों एवं बच्चों को कम समय दे पा रही थी, तभी मुझे समूह के अन्य महिलाओं द्वारा अदाणी फाउंडेशन के मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में पता लगा और तुरंत ही मैंने मशरूम की खेती करने का मन बना लिया.

आगे रेवती ने कहा, मेरे परिवार वालों ने भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया. मैंने और हमारे समूह की अन्य सदस्यों ने मशरूम खेती का व्यवसाय करना शुरू कर दिया. वर्तमान में हमारे द्वारा प्रतिदिन 8-10 किलो मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. इससे हम लोग अब अपने घर पर रह कर ही आय अर्जित कर अपने परिवार को पर्याप्त समय देने के साथ ही घर की दैनिक जरूरतों को पूरा कर पाने सक्षम हुए हैं.

अदाणी फाउंडेशन रायगढ़ एनर्जी जनरेशन लिमिटेड छोटे भण्डार के सामाजिक सरोकारों के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका संवर्धन और अधोसंरचना विकास के कई कार्यक्रम संचालित करता है, जिसमें आजीविका संवर्धन में महिला स्वयं सहायता समूहों को सिलाई के साथ साथ विभिन्न कृषि उत्पादों के बारे में जानकारी देकर प्रोत्साहित करता है.