मुंबई। एक समय में बैंकिंग सेक्टर की चंदा-तारा रहीं पद्म भूषण से सुशोभित ICICI बैंक की पूर्व MD और CEO चंदा कोचर को उनके पति दीपक कोचर के साथ सीबीआई ने शुक्रवार शाम गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि चंदा कोचर ने बैंक की कमान संभालते समय वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था, जिसके बदले में उनके पति की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन ने निवेश किया था. इसे भी पढ़ें : New Year Pick 2023: ये Stock कराएगा तगड़ा मुनाफा! 1 साल में मिल सकता है 46% रिटर्न…

जानकारी के मुताबिक, 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक द्वारा लोन दिया गया था. जो बाद में एनपीए हो गया और बाद में इसे “बैंक फ्रॉड” कहा गया. दरअसल, 2012 में, चंदा कोचर के नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का लोन दिया और छह महीने बाद वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली मेसर्स सुप्रीम एनर्जी ने मैसर्स न्यूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ का लोन दिया, जिसमें दीपक कोचर की 50% हिस्सेदारी है.

मामले में ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था. इसमें दावा गया कि वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी ‘नूपावर’ में अपना पैसा निवेश किया.

साल 2018 में यह खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था. सीबीआई ने फरवरी 2018 में इस मामले में प्रारंभिक जांच दर्ज की थी. साल 2019 में चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आई. समिति ने पाया कि वीडियोकोन को कर्ज देने के मामले में कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया है. कोचर की स्वीकृति पर इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक की मालिकाना हक वाली कंपनी को दिया गया.