
काठमांडू। राजनीति में कोई किसी का तो स्थाई दोस्त होता है, और न ही किसी का दुश्मन. इस बात को नेपाल के नेताओं ने साबित कर दी, जहां पुष्प कमल दहल ने सत्ता के लिए नेपाली कांग्रेस का साथ छोड़ अपने पुराने साथी केपी शर्मा ओली के साथ हाथ मिला लिया है.
बतौर सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल ओली ने रविवार को प्रधानमंत्री पद के लिए राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी को छह सहयोगी दलों का समर्थन पत्र सौंपा. इस दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्कसिस्ट-लेनिलिस्ट) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के साथ अन्य सहयोगी दलों के प्रमुख उपस्थित थे.

बता दें कि नेपाल में 20 नवंबर को हुए चुनाव से पहले गठबंधन बनाते समय नेपाली कांग्रेस के देउबा और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के प्रमुख प्रचंड ने बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक समझौता किया था. लेकिन सरकार बनाने के लिए जरूरी सीट नहीं मिलने की वजह से अब तक सरकार का गठन नहीं हो पाया था.
राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए नेपाली राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने राजनीतिक दलों को सात दिन का समय दिया था. इस संबंध में रविवार को नेपाली कांग्रेस के साथ हुई बैठक के दौरान सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के प्रमुख प्रचंड बिना किसी सहमति के निकल गए और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्कसिस्ट-लेनिलिस्ट) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली से मुलाकात कर ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सहमत हुए.

जानकारी के अनुसार, तय समझौते के तहत पहले ढाई साल प्रचंड प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे. इसके बाद के ढाई साल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्कसिस्ट-लेनिलिस्ट) के नेता देश की कमाल संभालेंगे.
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