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मनोज उपाध्याय, मुरैना। चंबल क्षेत्र में अटल प्रोग्रेस-वे के काम की शुरुआत होने से पहले ही उसका विरोध होना शुरू हो गया है। प्रोग्रेस-वे में किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, जिसके चलते भाजपा के पूर्व विधायक ने ही इस पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं चंबल कमिश्नर की माने तो प्रोग्रेस-वे के लिए राजस्व विभाग ने सर्वे का काम पूरा कर लिया है और जल्दी जमीन अधिग्रहण की शुरुआत की जाएगी।
गौरतलब है कि अटल प्रगति पथ पहले चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में बनने वाला था, जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद निरस्त कर दिया गया। अब नई प्लानिंग में इस एक्सप्रेस-वे को चंबल के बीहड़ों से तीन से चार किलोमीटर दूर बनाया जाएगा। एक्सप्रेस-वे में चंबल संभाग के तीनों जिले मुरैना, श्योपुर और भिंड के 214 गांवों की निजी जमीन आ रही है। मुरैना जिले के 97 गांव, श्योपुर के 63 गांव और भिण्ड के 41 गांव हैं। इनमें से मुरैना जिले के 79 गांव में सर्वे पूरा हो गया। 18 गांवों में किसानों के विरोध के कारण सर्वे अटका हुआ है। इसी तरह भिंड के 10 और श्योपुर जिले के 6 गांवों में किसानों के विरोध व असहमति के कारण जमीन अधिग्रहण का सर्वे नहीं हो पा रहा है।
चंबल में विकास की नई गाथा लिखे जाने के लिए चंबल एक्सप्रेस-वे की घोषणा की गई थी, जो कि पहले चंबल नदी के किनारे बीहड़ों की जमीन से होकर निकालने की तैयारी की जा रही थी पर एनजीटी के विरोध के चलते अब उसके लिए नए सिरे से सर्वे किया जा रहा है। जिसका नाम भी बदल कर अब अटल प्रोग्रेस-वे कर दिया गया है।
अटल प्रोग्रेस-वे को लेकर भाजपा के ही पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार पूरी तरह विरोध में उतर आए हैं, उन्होंने किसानों की हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि के अधिग्रहण के विरोध में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय परिवहन मंत्री और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि जिसको लेकर जल्द ही वो एक बड़ी किसान महापंचायत बुलाने वाले हैं। पंचायत बुलाने के बाद किसानों के साथ एक बड़ा आंदोलन भी करेंगे। साथ ही किसानों को अभी तक जो उपजाऊ जमीन ली जा रही है। ना तो यह बताया जा रहा है कि किसानों को इसका मुआवजा कितना दिया जा रहा है, सिर्फ जमीन अधिग्रहण की जा रही है।
चंबल कमिश्नर की माने तो सर्वे का काम पूरा हो चुका है और जल्दी ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कुछ गांवों में जो विरोध का सामना करना पड़ रहा है, इसके लिए तीनों जिले के अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है कि गांव गांव जाकर बैठक कर किसानों को समझाए देकर जमीन अधिग्रहण का काम जल्द पूरा कराया जाए।
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