अभिषेक सेमर, तखतपुर। पर्यावरण विभाग की अनदेखी कहें या लापरवाही का नमूना ? वायु प्रदुषण हर दिन मौत की दहलीज के करीब लोगों को पहुंचा रहा है. तखतपुर की फिजा में जहरीली वायु प्रदुषण को रोकने के लिए शिकायतों का मुद्दा लगातार चुस्त है, लेकिन अधिकारियों की कार्रवाई सुस्त है. राइस मिल ‘मौत’ की हवा उगल रही है, इससे फिजा जहरीली हो रही है. इलाके को बीमारियां जकड़ रही हैं. इस मामले में ग्रामीणों की जिम्मेदार नहीं सुन रहे हैं. ऐसे में लोगों में घबराहट है कि कहीं ये स्लो पॉइजन से सांसें न थम जाएं.

दरअसल, तखतपुर की फिजाओ में इन दिनों मौत का स्लो पॉइज़न खुली हवाओं में तेजी से घुल रहा है, जो कई साल से इलाके को जहरीला बना रहा है. ये स्लो पॉइज़न इतना खतरनाक है कि कई लोगों को गंभीर बीमारी का शिकार बना रहा है, तो वहीं ना जानें ये जहरीली हवा ने कितनों को मौत की नींद सुला चुकी है. यूं कहें कि और कितनों की जान लेने पर आतुर है. इसका अंजादा भी नहीं लगाया जा सकता है.

ये हम इसलिए कह रहे हैं कि हवा में फैल रही इस बीमारी को रोकने के लिए स्थानीय लोगों ने शासन / प्रशासन को सैकड़ों चिट्ठी लिखकर पत्राचार कर चुके हैं. किन्तु आवेदनों की स्थितियां लगभग आज भी वही है. समस्या आज की स्थिति में अधिक भयावह है. लिहाजा समस्या से तत्काल राहत पाने के लिए पर्यावरण विभाग और अन्य विभागों की ओर से मांग भी कर रहे हैं.

उनकी इस शिकायत और मांग पर ना तो अधिकारी कार्रवाई करते हैं और ना ही कोई असर हो पाया है. तो ऐसे में क्या कहें कि शासन प्रशासन हमारी जान बूझ कर नहीं सुन रहा है या फिर किस दबाव या मजबूरी में सुनना नहीं चाहते हैं. इसका बड़ा उदाहरण कार्रवाई नहीं होने से लेकर देखा जा सकता है.

ये कहानी छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक की. यहां पिछले कई महीनों से स्थानीय लोगों ने सरकारी ऑफिस में चिट्ठी लिख कर शिकायत दर्ज कर अपनी परेशानियों का जिक्र किया है, लेकिन आज तक इनके शिकायत पर ना तो अधिकारियों के कान खड़े हुए हैं और ना ही उनके कानों में कोई जूं रेंगा है.

यहां वायु प्रदूषण से प्रभावित लोगों ने बताया कि तखतपुर के सरकारी दफ्तरों का मुख्यालय ब्लॉक चौक है, लेकिन फिर भी अधिकारियों की खामोशी लोगों को मौत के मुंह के तरफ लेकर जा रही है.

इस संबंध में दिनांक 28-12-2022 को आवेदक ब्लॉक कालोनी के लोगो के द्वारा शिकायत किया गया था कि राइस मिल से निकलने वाला प्रदूषण जहरीली दवा का काम कर रहा है. इससे लोग अस्थमा, स्वास की बीमारी, किडनी में परेशानी, आंखों की समस्या जैसे कई गम्भीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं मौत के घाट तक पहुंच रहे हैं.

एक महिला ने ये भी बताया कि उनके पति की मौत का कारण भी यही समस्या है और डॉक्टर ने यहां तक महिला को सलाह दे दी है कि अपनी और अपने परिवार की जान बचानी है तो अपने घर और इलाके को ही छोड़ दो. महिला इस बात से भयभीत है कि पहले पति को खो चुकी है. 8 साल का पोता दमा का शिकार हो गया है.

इस बात की चिंता उसे रोज डराने ओर सताने लगी है. यही वजह है की लल्लूराम डॉट कॉम इस विषय को प्रमुखता से उजागर कर रहा है, ताकि प्रभावित लोगों को न्याय और इंसाफ मिल सके. समय रहते मौत के मुंह में जाने से बच सकें.

इस संबंध में एसडीएम सूरज कुमार साहू ने बताया कि तहसील चौक स्थित भाया राइस मिल से निकलने वाले डस्ट से वहाँ रहने वाले लोगों को कई प्रकार की गंभीर बीमारी और परेशानी की शिकायत प्राप्त हुई है, जिसको पर्यावरण विभाग को पत्र लिखकर संबंधित राइस मिल की जानकारी मांगी गई है. जांच टीम गठित कर राइस मिल की जांच कराई जाएगी.

अगर पर्यावरण के माप दंड के विपरीत कार्य किया जा रहा होगा तो संबंधित लोगो के ऊपर कार्रवाई की जाएगी. यह बहुत ही गलत है, हम सभी की जिम्मेदारी है कि हमारे आस पास रहने वाले लोगो की जान माल और स्वास्थ्य की रक्षा और सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है.

खंड चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सुनील हंसराज ने बताया कि राइस मिल के डस्ट से आम आदमी का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. इससे एलर्जी, एम्फिसिमिया,अस्थमा की बीमारी बनी रह सकती है. उसे साईनोसाईंटिस नजला,जुकाम की शिकायत भी आये दिन राह सकती है.

यदि राइस मिल के आसपास कोई रह रहा है तो उसे ब्रोंकाईटिस,सिओपीडी और लंग कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है. लोगो को ऐसी जगह से दूर रहना चाहिए. यदि आस पास रहने की मजबूरी हो तो लगातार मास्क लगाकर रखना चाहिए.

राहुल यादव ने बताया कि राइस मिल के नजदीक ही मेरी चाय की दुकान है. राइस मिल के धूल गर्द के चलते ग्राहक पांच मिनट भी नहीं रुकते. हर दस मिनट में दुकान में झाड़ू लगाना पड़ता है. सांस लेने में भी बहुत दिक्कत होती है.

चंद्र भूषण भास्कर ने बताया मैं फ़ोटो स्टूडियो चलाता हूँ. दिन भर राइस मिल का डस्ट दुकान के जमा होता रहता है, जिसे साफ करना पड़ता है. नहीं तो कैमरे खराब हो जाएंगे. सांस लेने में भी दिक्कत होती है. शाम को दुकान बंद कर जाते हैं और सुबह आकर दुकान खोलते हैं तो डस्ट और गर्द की मोटी परत जमी रहती है.

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