नई दिल्ली। पत्रकारिता को एक जोखिम भरा काम माना जाता है. इस बात का सबूत RSF (रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) के आंकड़े से साबित होता है, जिसके अनुसार, पिछले दो दशकों (2003-2022) में अपने काम के सिलसिले में दुनिया भर में कुल 1,668 पत्रकार मारे गए हैं. यह आंकड़े के अनुसार, हर साल औसतन 80 से अधिक पत्रकार मारे गए हैं. इसे भी पढ़ें – Bank Holidays News : जनवरी में 14 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखें छुट्टियों की पूरी लिस्‍ट…

सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के ध्येय से गठित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी और गैर-सरकारी संगठन RSF की ओर से जारी बयान में बताया गया कि वार्षिक मौतों की संख्या 2012 और 2013 में क्रमश: 144 और 142 पत्रकारों की मौत के साथ चरम पर थी. 2003 और 2022 के बीच लगभग 80% मौतें 15 देशों में हुईं, जिनमें से सबसे खतरनाक इराक और सीरिया थे, जहां कुल मिलाकर 578 पत्रकार मारे गए थे.

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RSF के अनुसार, इराक और सीरिया के बाद अफगानिस्तान, यमन, फिलिस्तीन और सोमालिया आते हैं. इन देशों के अलावा यूरोप में रूस पत्रकारों के लिए सबसे घातक देश बना हुआ है. वॉचडॉग ने बताया कि पिछले दो दशकों के दौरान ‘ज़ोन एट वॉर’ की तुलना में ‘ज़ोन एट पीस’ में अधिक पत्रकार मारे गए हैं. इनमें से अधिकांश पत्रकार शामिल थे, जो संगठित अपराध और भ्रष्टाचार की जांच कर रहे थे.

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