भारत एक ऐसा देश है, जहां हर दिन लाखों लोग एक्सीडेंट की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए तमाम वाहन निर्माता कंपनियां अपनी कारों में सेफ्टी के लिए कई तरह के फीचर्स देती हैं. जिनमें एयरबैग्स से लेकर ABS (Anti-lock Braking System)और EBD (Electronic brake force distribution) जैसे सेफ्टी फीचर्स आ रहे हैं. ये फीचर्स दुर्घटना के वक्त आपकी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं.
यहां हम आपको इसके बारे में डिटेल में बता रहे हैं. ABS और EBD कारों में मिलने वाले सुरक्षा फीचर्स हैं. सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए गाड़ियों में यह फीचर देना अनिवार्य कर दिया है. आखिर ABS और EBD क्या हैं और ये फीचर कितने महत्वपूर्ण होते हैं. ये किसी वाहन में कैसे काम करते हैं. इनकी उपयोगिता क्या है. आइए जानते हैं वाहन के इस खास सुरक्षा फीचर के बारे में.
Anti-lock Braking System एक ऐसा सेफ्टी फीचर है जोकि अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन को फिसलने से बचाता है. साथ ही वाहन को कंट्रोल में रखता है. इसमें लगे वाल्व और स्पीड सेंसर की मदद से अचानक ब्रेक लगने पर वाहन के पहिये LOCK नहीं होते हैं और बिना स्किड किये कम दूरी में वाहन रुक जाता.
ABS सिस्टम में होते हैं ये खास पुर्जे
- व्हील स्पीड सेंसर
- इलेक्ट्रोनिक कंट्रोल यूनिट
- हाइड्रोलिक सिस्टम
कैसे काम करता है ABS ?
जिस वाहन में ABS (Anti-lock Braking System) लगा होता है, उस वाहन में जब अचानक ब्रेक लगते हैं तो उस वक्त ब्रेक ऑयल के प्रेशर से ब्रेक पैड पहिये के साथ जुड़ते हैं और उसकी स्पीड को धीमा कर देते हैं, स्पीड में वाहन के आगे अगर कुछ रूकावट पैदा होती है जिसकी वजह से गाड़ी को एकदम से रोकना पड़े तो ब्रेक पेडल को जोर से दबाया जाता है ताकि वाहन रुक जाये. लेकीन जब तेज स्पीड में एकदम से जोर से ब्रेक लगते हैं तो ब्रेक पैड व्हील के साथ चिपक जाते है और फिर शुरू होता है ABS का काम.
अब जैसे ही ब्रेक पैड पहिये को जाम करने लगेंगे उसी समय स्पीड सेंसर पहिये की रफ्तार का सिग्नल ECU (Electronic Control Unit) में भेजता है, और ECU हर पहिये की रफ्तार का आंकलन करके हर पहिये की रफ्तार के अनुसार हाइड्रोलिक यूनिट को सिग्नल भेजता है. ECU से सिग्नल मिलने पर हाइड्रोलिक सिस्टम अपना काम शुरू करने लगता है, हाइड्रोलिक सिस्टम, ECU से मिले हुए सिग्नल के अनुसार हर पहिये में उसकी स्पीड के अनुसार प्रेशर को कम या ज्यादा करता रहता है. जिसकी वजह से वाहन के पहिये जाम होने लगते हैं. हाइड्रोलिक सिस्टम थोड़ा ब्रेक प्रेशर को कम कर देता है, जिससे पहिये फिर से घूमने लगते हैं, और फिर ब्रेक प्रेशर बढ़ा कर पहिये को रोकता है. खास बात यह है कि ये परिक्रिया सेकंड में कई बार होती है जिसकी वजह से वाहन के पहिये जाम नहीं होते हैं.
EBD क्या है
EBD को Electronic break force कहा जाता है. यह एक ऐसा सिस्टम है जो कार की स्पीड और रोड की कंडीशन के हिसाब से ब्रेक अलग-अलग पहिये को इंडीविजुअली (निजी) ब्रेक फोर्स प्रदान करता है. जब कभी एकदम से ब्रेक लगते हैं तो गाड़ी आगे की तरफ को दबती है और जब किसी मोड़ पर गाड़ी को मोड़ते हैं, तो गाड़ी का वजन और उस पर बैठी सवारियों का भार एक तरफ होता है. ऐसी स्थिति में ब्रेक लगाने पड़ते हैं तो बिना EBD वाली गाड़ियों के स्किड होने की संभावना बहुत अधिक होती है, क्योंकि EBD सिस्टम, वजन और रोड कंडीशन के अनुसार अलग अलग पहिए को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है जिसकी वजह से वाहन ऐसी परिस्थिति में भी कंट्रोल में रहता है.
अलग होते हैं दोनों सिस्टम
ABS और EBD दोनों ही अलग-अलग सिस्टम हैं. लेकिन वाहन में ये दोनों एक साथ काम करते हैं, इसलिए इन दोनों का नाम भी अक्सर एक साथ लिया जाता है.
सुरक्षा है बड़ा मुद्दा
दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाएं सुरक्षा के लिहाज़ से एक बड़ा मुद्दा है. ऐसे में आपको नई कार खरीदने से पहले उसके सुरक्षा पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिये. एबीएस, ईबीडी के साथ यह भी जरूर देखलें की कार में कितने एयरबैग्स हैं. हालांकि, भारत सरकार ने यह कानून पास किया है कि हर कार में स्टैंडर्ड के तौर पर दो एयरबैग्स मिलना ड्राइवर और को-पैसेंजर्स के लिए देना अनिवार्य है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में हर चार मिनट में सड़क दुर्घटना में कोई न कोई अपनी जान गंवाता है. इस साल जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सालाना करीब साढ़े चार लाख एक्सीडेंट होते हैं, इनमें से करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है.
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