पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. देवभोग परिक्षेत्र के वनवासी किसानों के लिए 2022 खास रहा. वन विभाग की ट्रेनिंग के बाद इस बार 180 किसानों ने 400 पेड़ों में वैज्ञानिक पध्दति से लाख की खेती किया. इनमें से 80 लोगों को सरकार ने केसीसी लोन भी दिया. 5 माह बाद उत्पादन को किसान 1 करोड़ 80 लाख में बेचेंगे. वर्षों से अमलीपदर क्षेत्र के दर्जनभर गांव के किसान परंपरागत तरीके से लाख की खेती करते आ रहे थे. लाख की उच्चतम क्वालिटी होने के कारण अमलीपदर की लाख को गोल्डन लाख के नाम से पहचान मिली.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग हुई तो भनक सरकार को भी लगी, फिर लाख उत्पादक किसानों को बढ़ावा देने की मुहिम शुरू हुई. इसका जिम्मा वनोपज सहकारी समिति मर्यादित संघ रायपुर के अपर प्रबंध संचालक आंनद बाबू को दिया गया. इसी साल 8 माह पहले आरंभिक जानकारी का संकलन कर विभाग ने लाख उत्पादन की संभावनाओ का ब्लू प्रिंट तैयार किया. गरियाबंद संघ के तत्कालीन (डीएफओ ) प्रबंध संचालक मयंक अग्रवाल व उप प्रबंधक अतुल श्रीवास्तव ने भी पुरी लगन से काम किया और आज उसका बेहतर परिणाम सामने आ गया.

काड्सर, डुमाघाट, खरीपथरा समेत 12 गांव के 180 कृषकों ने 400 कुसुम पेड़ों में दिसम्बर पहले सप्ताह से लाख लगाना शुरू किया है. काम की देखरेख करने वाले जूनियर एग्जीकेटिव योगेश नाग ने कहा कि 40 लाख की लागत लगाया जा रहा है. ठीक 5 माह बाद किसानों को इसका 5 गुना आय अर्जित होगा.

वैज्ञानिक पद्धति से उत्पादन का ट्रेनिंग
5 गुना उत्पादन के दावे के पीछे के कारणों को उप प्रबंध संचालक अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि 6 माह पहले किसानों को लाख के एक्सपर्ट वैज्ञानिक से तकनीकी बारीकियों को बताने तीन दौर का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया. पंरपरागत तरीके से हटकर इन्हें 3 माह पहले ही पेड़ों का चयन कर डंगाल काटने, बिहन लाख की पहचान व लगाने की तकनीकी जानकारी दी गई. इसके अलावा किट प्रकोप से बचाने समय-समय पर दवा का छिड़काव व देखभाल की हर उन बारीकियों से अवगत कराया गया, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ सकता है.

तकनीकी का ज्ञान हुआ या नहीं, इसे परखने 20 से ज्यादा बेर पेड़ पर लाख उत्पादन करवाया गया. वन धन मित्र व लाख के जानकारों के एक दल ने सतत मॉनिटरिंग भी की. बेर पेड़ पर सफल प्रयोग हुआ. इन पेड़ों से किसानों ने 7 क्विंटल बिहन लाख का उत्पादन कर दिखाया. बेर पेड़ पर लाख उत्पादन का यह पहला अनुभव था. किसान उत्साहित थे. अब 400 कुसुम पेड़ो में लाख लगा रहे हैं. कुल 36 क्विंटल बिहन लाख लगाया जाना है. काम लगातार चल रहा है.

84 किसानों को 20 लाख का केसीसी लोन
लघुवनोपज को बढ़ावा देने सरकार ने धान की भांति लाख में भी बगैर ब्याज के केसीसी लोन देना शुरू किया. प्रदेश में यह पहला अवसर था जब जिले के 84 किसानों को 20 लाख केसीसी लोन लाख की खेती करने दिया गया है. लोन देने की प्रक्रिया जारी है. 100 किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया है. प्रति पेड़ लाख लगाने की लागत 10 हजार आ रही है. काड्सर क्लस्टर के अध्यक्ष किसान यशवंत मरकाम ने बताया कि केसीसी लोन के बाद उन अनुभवी व मेहनती किसान भी लाख से लखपती बनने के मुहिम में शामिल हो गए हैं, जो पैसे के अभाव में लाख उत्पादन नहीं कर पाते थे.


लाख की लखपति गणित
लाख का बिहन सरकारी दर पर अधितम 340 रुपये किलो के दर से उपलब्ध हो जाता है. एक पेड़ में अधिकतम 20 किलो लगाया जाता है. मजदूरी व दवा मिलाकर औसत प्रति पेड़ 10 हजार खर्च होते हैं. तकनीकी खेती से एक पेड़ से 50 से 60 किलो का लाख 5 माह के भीतर तैयार हो जाता है. एमएसपी दर भले 500 के भीतर हो पर गोल्डन लाख के नाम से यहां की लाख 900 से 1000 रुपए के अधिकतम मूल्य तक बिक जाता है. एक किसान के पास अधिकतम 3 पेड़ है. खर्च काटकर प्रति पेड़ 45 से 50 हजार की आमदनी होगी, जिससे लाख की खेती करने वाला प्रत्येक किसान लखपति बनेगा.

लाख उत्पादन लायक 5 हजार पेड़ चिन्हाकित
अतुल श्रीवास्तव, उप प्रबन्ध संचालक (जिला वनोपज सहकारी समिति मर्यादित गरियाबंद) ने बताया कि आरंभिक सर्वे में जिलेभर में लाख उत्पादन लायक कुल 5 हजार पेड़ चिन्हाकित किए गए हैं. देवभोग परिक्षेत्र में इस साल शुरू किया गया है. आने वाले साल तक इसका दायरा बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा जाएगा.

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