प्रतीक चौहान. Railway Big Decision: जोनल रेलवे महाप्रबंधक (जीएम) अब अपने मंडलों का वार्षिक निरीक्षण नहीं कर सकेंगे. शनिवार को एक पत्र जारी कर रेलवे बोर्ड ने इस पर रोक लगा दी है. इसके चलते अब जीएम निरीक्षण नहीं करेंगे. बोर्ड ने गत वर्ष भी जीएम के वार्षिक निरीक्षण पर रोक लगा दी थी. इसके चलते जीएम गत वर्ष भी निरीक्षण नहीं कर सके थे.

सैर-सपाटे पर लगी रोक
बोर्ड के इस आदेश को फिजूलखर्ची रोकने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. उल्लेखनीय है कि निरीक्षण के नाम पर मुख्यालय और मंडल अधिकारियों की पूरी फौज उनके साथ तमाम सुपरवाइजर और कर्मचारियों सैर पर निकलते थे. जिसके लिए कई-कई स्पेशल ट्रेन दौड़ती थी. कई बार इन स्पेशल ट्रेनों के चक्कर में सवारी गाड़ियों तक को रोकना पड़ता था.

नहीं होगी फ्री में शॉपिंग

इतना ही नहीं अधिकारियों की पत्नियों के लिए भी एक अलग स्पेशल ट्रेन चलती है. कई अधिकारी इनकी पत्नियों के आवभगत में जुटे रहते थे. मुफ्त में घुमाने फिराने के अलावा अधिकारियों की पत्नियों को फ्री में जमकर शॉपिंग भी करवाई जाती थी. जाहिर है यह सारा खर्चा अंत में रेलवे के ही माथे पड़ता है.

पानी की तरह बहाते थे पैसा
इसके अलावा निरीक्षण वाली रात को क्लब में पार्टी भी होती है. इस पार्टी में खाने-पीने और सांस्कृतिक आयोजन पर पैसा पानी की तरह बनाया जाता है. साथ ही खाने-पीने में भी अधिकारियों की पसंद-नापसंद का विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि निरीक्षण रिपोर्ट मनमाफिक तैयार हो सके.

बाधित होता था जरूरी काम
मंडल द्वारा जीएम के निरीक्षण की तैयारी कई महीनों पहले शुरू कर दी जाती है. इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी विशेष रूप से लगाई जाती है. इसके चलते मंडल के और भी कई जरूरी काम रुके रह जाते हैं. निरीक्षण के नाम पर अधिकारियों और कर्मचारियों के डीए-टीए के रूप में भी रेलवे को बड़ा आर्थिक नुकसान होता है.

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