स्पोर्ट्स डेस्क. बीसीसीआई ने टीम इंडिया के क्रिकेट को और हाईलेवल में पहुंचाने के लिए कई अहम फैसले लिए. इस मीटिंग के बाद ये साफ हो गया है कि, टीम इंडिया में खेलने के लिए खिलाड़ियों को अब कठिन परीक्षा देनी होगी. ये परीक्षा फिटनेस से जुड़ी होगी. साथ ही सेलेक्शन प्रोसेस में एक नया टेस्ट जोड़ा गया है, जिसे डेक्सा कहा जा रहा है. हालांकि इस टेस्ट के बारे में अभी किसी को ज्यादा जानकारी नहीं है.

बता दें कि, हाल ही में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में हुए टी-२० विश्वकप में करारी हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद बीसीसीआई की ओर से यह कहा गया था कि, हार को लेकर एक हाईलेवल मीटिंग की जाएगी। ये मीटिंग उसी क्रम का हिस्सा है. इस मीटिंग में बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, सचिव जय शाह, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, कोच राहुल द्रविड़, एनसीए प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण और चयनकर्ता प्रमुख चेतन शर्मा ने हिस्सा लिया. राष्ट्रीय टीम में चयन के मानदंडों में यो-यो फिटनेस टेस्ट को फिर से शामिल कर लिया गया है.

मीटिंग में यह भी तय किया गया कि, अब टीम में सेलेक्शन को लेकर युवा और सीनियर्स खिलाड़ियों को पर्याप्त घरेलू क्रिकेट खेलना होगा. शाह ने बीसीसीआई द्वारा जारी बयान में कहा, सीनियर क्रिकेटरों को राष्ट्रीय टीम में चयन की पात्रता हासिल करने के लिए पर्याप्त घरेलू क्रिकेट खेलना होगा. यो-यो टेस्ट और डेक्सा अब चयन के आधार में शामिल होंगे.

बता दें कि यो-यो एक एरोबिक फिटनेस टेस्ट है, जिससें दमखम का आकलन किया जाता है. इसमें 20-20 मीटर की दूरी पर रखे गए मार्कर के बीच बढ़ती हुई गति से दौड़ना होता है. विराट कोहली के टीम इंडिया का कप्तान रहते यह टेस्ट शुरू किया गया था. पहले इस टेस्ट में पास होने के लिए 16.1 स्कोर जरूरी था जिसे बाद में 16.5 कर दिया गया.

चर्चा में डेक्सा टेस्ट
बता दें कि यह हड्डी से जुड़ा एक टेस्ट है. इसे बोन-डेंसिटी टेस्ट (Bone Density Test) भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया में एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल होता है. डेक्सा सुरक्षित, दर्द-रहित और जल्दी हो जाने वाला टेस्ट है. इसका मकसद हड्डियों की मजबूती को मापना है. टेस्ट में दो प्रकार की बीम बनती है. एक बीम की फोर्स काफी ज्यादा होती है, वहीं दूसरी की कम. दोनों बीम हड्डियों के अंदर से गुजरते हुए एक्स-रे करती हैं. इससे पता चलता है कि हड्डियों की डेंसिटी यानी मोटाई कितनी है.

डेक्सा टेस्ट एक खास तरह की मशीन से किया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान स्कैन से हड्डी में किसी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाओं का भी पता चल जाता है. इतना ही नहीं, डेक्सा टेस्ट के जरिए बॉडी का फैट पर्सेंट, भार और टिश्यू के बारे में भी जानकारी मिलती है.