दुनिया में लोग रुद्राक्ष के गुणधर्मों के कारण उसके प्रति आकर्षित रहें हैं. यह एक बहुत बड़ा आश्चर्य है कि पेड़ उगने वाले फल का बीज, दुनिया भर मेें अतिशय ध्यान व रूचि का केंद्र रहा है. साधू-संतों के अलावा साधारण लोग, विद्वानों से लेकर व्यवसायियों तक सभी वर्ग के लोग रुद्राक्ष का उपयोग व इसकी उपासना करते आये हैं.
रुद्राक्ष अनादि काल से जाना पहचाना और उपयोग मे लाया जाता रहा है. अब वैज्ञानिक शोध ने भी इसकी शक्ति को पहचाना है. Rudraksh पहनना प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके महान उपचार और वैज्ञानिक गुणों के कारण यह न केवल बड़े से बड़ा रोग ठीक कर सकता है, बल्कि हमारे मन और शरीर पर भी अ’छा प्रभाव डालता है. Read More – थक जाओगे मूनगा के गुणों की विशेषता गिनते-गिनते, हर छत्तीसगढ़ी के दिल में बसता है इसके व्यंजनों का स्वाद …
रुद्राक्ष और भगवान शिव का सम्बन्ध
भगवान भोलेनाथ की पूजा में Rudrakshका विशेष महत्व है. कहा जाता हैं कि रुद्राक्ष कि उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. इसकी उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. रुद्राक्ष रुद्र और अक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है. रुद्र का अर्थ शिव होता है और अक्ष का मतलब भगवान शिव की आंख से है. Rudraksh की माला हमारे अंदर सकारात्मकता ऊर्जा पैदा करती है. बिजी लाइफस्टाइल में तनाव, सिरदर्द, उलझन, घबराहट को दूर करने के लिए भी आप Rudraksh धारण कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें इससे पहनने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
एंटीइंफ्लेमेट्री और एंटीबैक्टीरियल गुण होता है
वैज्ञानिक अध्ययन साबित करते हैं कि रुद्राक्ष की माला में डायइलेक्ट्रिक गुण होते हैं, जो खराब ऊर्जा को स्टोर करने के लिए जाने जाते हैं. जब भी हम शारीररिक या मानसिक रूप से तनावग्रस्त होते हैं, तो उस वक्त हमारा शरीर ज्यादा ऊर्जा पैदा करता है, जिसे अगर स्टोर या बर्न न किया जाए, तो ब्लड प्रेशर, चिंता, अवसाद जैसी कई समस्याएं बढ़ती हैं.
ऐसे में रुद्राक्ष की माला इस अनचाही ऊर्जा को स्थिर कर तंत्रिका तंत्र में सुधार और हार्मोन को संतुलिन करने में मदद करती है. Rudraksh की माला में एंटीइंफ्लेमेट्री और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. इसलिए विद्वान अक्सर भीगे हुए रुद्राक्ष का पानी पीने की सलाह देते हैं. ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार होता है. Read More – मां बनने वाली हैं Tanvi Thakkar, नए साल की बधाई के साथ दी खुशखबरी …
चुंबकीय गुण करता है दिल और बीपी की रक्षा
रुद्राक्ष के मोती डायनामिक पोलेरिटी गुणों की वजह से एक चुंबक की तरह काम करते हैं. चुंबकीय प्रभाव के कारण Rudraksh शरीर की अवरूद्ध धमनियों और नसों में रूकावट को दूर करता है. इसे पहनने से ब्लड फ्लो भी अच्छे से होता है. खास बात है कि रुद्राक्ष की माला में शरीर में होने वाले किसी भी तरह के दर्द और बीमारी को दूर करने की क्षमता है.
रुद्राक्ष के प्रकार और उनका महत्व
रुद्राक्ष 1 मुख से लेकर 21 मुखी तक अलग-अलग मुखी आते है. इनमें से 1 से 14 आसानी से उपलब्ध हैं. प्रत्येक Rudraksh का अपना महत्व है. जिसमें आसानी से मिलने वालों में एक मुखी Rudraksh में भगवान शिव का संरक्षक होता हैं. यह सर्वोच्च चेतना के बारे में जागरूकता लाता है. दो मुखी शिव और शक्ति के संयुक्त रूप अर्धनारीश्वर, इस रुद्राक्ष के संरक्षक देवता हैं. तीन मुखी Rudraksh अग्नि इस रुद्राक्ष की अपनी दिव्यता है. चार मुखी रुद्राक्ष- गुरु इस Rudraksh के संरक्षक देवता हैं. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र, इस रुद्राक्ष की अध्यक्षता करते हैं. यह रुद्राक्ष हमारी आंतरिक जागरूकता को बढ़ाता है, जिससे हम अपने उच्च स्व में पहुँचते हैं.
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