रायपुर- छत्तीसगढ़ में किसानों के आंदोलन को भारतीय किसान संघ का समर्थन नहीं मिलेगा ! संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि किसानों से जुड़े मुद्दों पर ये आंदोलन है, लिहाजा नैतिक समर्थन ही किया जाएगा, लेकिन संघ का प्रतिनिधि आंदोलन में हिस्सा नहीं लेगा. गौरतलब है कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने, धान पर बोनस देने समेत कई मुद्दों को लेकर छत्तीसगढ़ में 21 संगठनों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. 16 जून को प्रदेश में किसान महाआंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। महाआंदोलन के लिए किसान संगठनों ने एक महा संघ का गठन भी किया है, जिसके बैनर तले ये आंदोलन किया जाएगा.
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने लल्लूराम डाट काम से हुई खास बातचीत में कहा कि- मध्यप्रदेश में भी संघ की ओऱ से किसानों के आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया गया था, लेकिन हिंसक प्रदर्शन के बाद हमने समर्थन वापस ले लिया. केलकर कहते हैं कि भारतीय किसान संघ ऐसे किसी भी हिंसक आंदोलन का हिस्सा नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि दो लाख किसानों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन विधानसभा उपाध्यक्ष को सौंपकर ये मांग कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में किसानों के मुद्दों को लेकर तीन दिवसीय विशेष सत्र बुलाया जाए, जिसमें किसानों की बुनियादी मांगों को पूरा करने के साथ 25 सालों को रोडमैप तैयार किया जाए. उन्होंने बताया कि विधानसभा के विशेष सत्र के साथ-साथ किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से भी मांग की गई है कि संसद का तीन दिवसीय विशेष सत्र बुलाया जाए.
इधर मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों के हिंसक प्रदर्शन के बाद छत्तीसगढ़ में किसान संगठनों की आंदोलन की रणनीति लगातार बनाई जा रही है. बीते दिनों राजधानी रायपुर के धरना स्थल पर आंदोलन की रणनीति तैयार करने महज 12 किसान संगठनों को बुलावा भेजा गया था, लेकिन करीब 21 संगठनों के लोग एकजुट हुए थे. आंदोलन की प्रारंभिक रणनीति तैयार करने के बाद सोमवार को दोबारा 50 से ज्यादा संगठनों की बैठक की खबर है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई. किसानों के आंदोलन की तैयारी के बीच खबर ये भी है कि किसानों की रणनीति पर सरकार की बारीकी से नजर है. बताया जा रहा है कि सरकार ये मान कर चल रही है कि मध्यप्रदेश के हालात से छत्तीसगढ़ के हालात में काफी अंतर है, लिहाजा मंदसौर जैसे हालात छत्तीसगढ़ में बनेंगे, इसकी संभावना ना के बराबर है….