भारतीय ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को प्रमुख स्थान दिया गया है, तथा माना गया है कि चंद्रमा मन का कारक होता है. चूकि किसी मानव के जीवन में उसकी सफलता तथा असफलता का बहुत बड़ा कारण उसका मन होता है, अतः यदि कोई व्यक्ति सफल है या असफल इसका बहुत कुछ निर्धारण चंद्रमा की स्थिति से किया जा सकता है.

चंद्रमा यदि लग्न में हो तो आलसी और क्रोध दे सकता है. इसी प्रकार चन्द्र यदि तीसरे या एकादश स्थान में हो तो मन हमेशा ही खराब होता है. अतः चन्द्र मानसिक कमजोरी देकर निर्णय लेने में बाधा दे सकता है. अतः चंद्रमा के दोषों को दूर करने के लिए चंद्रमा के वस्तुओं का दान करें.

जिसमें विशेषकर शंख, कपूर, दूध, दही, चीनी, मिश्री, श्वेत वस्त्र, इत्यादि तथा मंत्रजाप जिसमें उॅ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः या उॅ नमः शिवाय का 11 हजार जाप तथा रूद्राभिषेक प्रमुख माना जाता है. इन उपायों के आजमाने से शुभ फल में वृद्धि तथा अशुभ फलों में कमी होती है.