अजय शर्मा,भोपाल। भारत में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मप्र के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में हुई है. बाघों की मौत का मामले में मध्य प्रदेश वन विभाग (Madhya Pradesh Forest Department) को एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने नोटिस जारी किया है. क्योंकि टाइगर रिजर्व में बाघों की लगातार हो रही मौतों से एनटीसीए नाराज है. मध्य प्रदेश में पिछले साल 34 बाघों की मौत हुई है, जबकि कर्नाटक में सिर्फ 15 बाघों की मौत हुई है. ऐसे में कर्नाटक टाइगर स्टेट का तमगा लेने की जुगत में है.
एक ओर मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट (Madhya Pradesh Tiger State) है, तो दूसरी ओर प्रदेश में बाघों की मौत (tiger death) का सिलसिला लगातार जारी है. देश में बाघों की सबसे ज्यादा मौत मध्यप्रदेश में हुई. मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के उत्तर वन मंडल के देवेंद्र नगर रेंज के विक्रमपुर गांव के पास एक बाघ का शव पेड़ से लटका मिला था. बाघ के गले में तार का फंदा लगा और वह पेड़ से फंसा हुआ था. ऐसा प्रतीत हो रहा कि जैसे बाघ ने आत्महत्या की हो.
मध्य प्रदेश वन विभाग को एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि बाघों की मौत कैसे हुई, इसकी जिम्मेदारी किसकी है. हालांकि वन विभाग कहता आया है कि बाघों की आपसी लड़ाई में मौतें हुई हैं. किसान इलेक्ट्रिक तार की वजह बाघों की जान जा रही है. बावजूद इसके विभाग इसे रोकने में नाकाम साबित हो रहा है. अब कर्नाटक टाइगर स्टेट का तमगा लेने की जुगत में है.
बता दें कि दिसंबर में ही NTCA की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि प्रदेश में एक साल में 32 टाइगर की मौत हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में पूरे देश में 99 टाइगर की मौत हुई है. पहली मौत मादा टाइगर की 8 जनवरी 2022 को बांधवगढ़ में दर्ज हुई थी. सबसे अधिक जान भी बांधवगढ़ में हुई है. NTCA के अनुसार पिछले 10 साल में जुलाई 2022 तक 270 टाइगर की मौत मध्यप्रदेश में हुई. 10 साल में 66 सबसे अधिक टाइगर की मौत बांधवगढ़ में दर्ज की गई है. प्रदेश में लगातार हो रही बाघों की मौत से एमपी का टाइगर स्टेट का दर्जा खतरे में पड़ गया है.
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