राजस्थान के चूरू जिले के प्रसिद्ध सालासर बालाजी धाम के चमत्कारों को कौन नहीं जानता है. हर हनुमान भक्त की इच्छा होती है वो सालासर धाम एक बार पहुंचे. यहां हर साल 8 से 10 लाख हनुमान भक्त उनके दर्शन के लिए जुटते हैं. बालाजी के यहां प्रकट होने की कथा जितनी चमत्कारिक है, उतने ही चमत्कारी अंदाज में पवनपुत्र हनुमान बालाजी के रूप में अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. सालासर जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है. यह सीकर से 57 किलोमीटर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर और लक्ष्मणगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

इसी मंदिर की प्रसिद्ध हो सिद्धि के साथ स्थापित रायपुर के वीआइपी रोड स्थित अग्रसेन धाम के समीप सालासर बालाजी में भक्तों का तांता लग रहा है. भव्यता और विशाल आधुनिक इस मंदिर में वर्ष 2019 को श्री सालासर बालाजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई. Read More – बालों को शैम्पू करें पर ये गलतियां करने से बचें, नहीं तो जल्दी बाल हो जाएंगे खराब और कमजोर …

अंजनी माता के होते पहले दर्शन

राजस्थान के सालासर धाम में श्री बालाजी मंदिर से पहले लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर श्री अंजनी माता का मंदिर है. मंदिर की शोभा भव्य और वातावरण सात्विक है. सालासर आने वाले सभी भक्तजन सबसे पहले अंजनी माता मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं, उसके बाद वे श्री बालाजी मंदिर की तरफ प्रस्थान करते हैं. कुछ ही तरह की व्यवस्था यहां रायपुर के बालाजी धाम में देखने को मिलती है. एक ही परिसर में भव्य, सुंदर मूर्तियां स्थापित है.

बालाजी धाम का इतिहास

बालाजी के एक भक्त थे मोहनदास. इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने इन्हें मूर्ति रूप में प्रकट होने का वचन दिया. अपने वचन को पूरा करने के लिए बालाजी नागौर जिले के आसोटा गांव में 1811 में प्रकट हुए. इसकी भी एक रोचक कथा है.

रायपुर का सिद्ध सालासर मंदिर

रायपुर के अग्रसेन धाम के पास मध्यभारत का इकलौता सिद्ध सालासर बालाजी मंदिर स्थापित है. यहां मनोकामना पूर्ति के लिए सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचे हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष भीड़ होती है. बालाजी धाम में मुंडन संस्कार की व्यवस्था भी है. यहां मन्नत का धागा-नारियल बांधने दूर-दूर से लोग आते हैं. Read More – Today’s Recipe : अब कढ़ाई पर आसानी से बनाएं Garlic Bread, ओवन की नहीं पड़ेगी जरूरत …

यहां भी दाढ़ी-मंछू वाले हनुमान जी

भारत में श्रीराम भक्त हनुमान जी के कई चमत्कारी मंदिर हैं. जहां हनुमानजी विभिन्न रूप में विराजित हैं. लेकिन सालासर में बालाजी दाढ़ी-मूंछ वाले हनुमानजी के नाम से प्रसिद्ध हैं. ऐसे ही दिव्य रूप में रायपुर के हनुमानजी दाढ़ी मूंछ में विराजित हैं. इस मंदिर को लेकर कई मान्यता हैं.

बालाजी को लगता हैं चूरमे का भोग

सालासर बालाजी धाम पर भक्त मोहनदास का समाधि मंदिर भी मौजूद हैं. यहां बालाजी को चूरमे का भोग लगता हैं. मन्नत पूरी होने पर बालाजी को चूरमे का भोग लगाया था. चूरू में भी सालासर बालाजी को चूरमे का भोग लगाया जाता हैं.

सवामणी भोग

ये प्रसाद का एक रुप है. श्री बालाजी महाराज से मांगी कामना पूरी होने पर सवामणी का भोग लगाया जाता है. सवामणी कार्यालय से ही ली जाती है, बाहर से बनी सवामणी का भोग नहीं लगता. सवामणी के प्रसाद में हलवा, पूरी और लड्डू का भोग लगता है. जिसकी कीमत अलग-अलग होती है.