हर बीमारी का संबंध किसी न किसी ग्रह से है, जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है या फिर दूसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित होने पर किसी तरह की बीमारी या रोग जन्म लेती है. सूर्य आंखों, चंद्रमा मन, मंगल रक्त संचार, बुध हृदय, बृहस्पति बुद्धि, शुक्र प्रत्येक रस तथा शनि, राहू और केतु उदर का स्वामी है. कुंडली में कोई भी ग्रह बलवान स्थिति में होता है, तो जातक को उसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं. जबकि कमजोर होने पर ग्रह अशुभ फल देते हैं और इन्हीं अशुभ फलों में बीमारियां भी शामिल हैं.

सूर्य ग्रह से रोग

यदि सूर्य ग्रह अच्छा नहीं है तो सर्व प्रथम आपके बाल झड़ेंगे. सर में दर्द आए दिन होगा और आपको दर्द निवारक दवा का सहारा लेना ही पड़ेगा. Read More – Body को गर्म रखने के लिए पिएं ये Drinks, तेज ठंड में मिलेगी राहत …

चन्द्र ग्रह से मानसिक रोग

यदि चन्द्र कमजोर है तो मन कमजोर होगा और आप भावुक अधिक होंगे और सहनशक्ति भी कम होगी. इसके बाद सर्दी जुकाम और खांसी कफ जैसी व्याधियों से जल्दी प्रभावित हो जाएंगे. चन्द्र अधिक कमजोर होने से सर्दी से पीड़ित होंगे. चन्द्र के कारण स्नायुतंत्र भी प्रभावित होता है.

मंगल ग्रह और सुस्त व्यक्ति

मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व करता है, परन्तु जिनका मंगल कमजोर होता है रक्त की बीमारियों के अतिरिक्त जोश की कमी होगी. खराब मंगल से चोट चपेट और दुर्घटना आदि का भय बना रहता है.

बुध ग्रह से दमा और अन्य रोग

खराब बुध से व्यक्ति को चर्म रोग अधिक होते हैं. सांस की बीमारियां बुध के दूषित होने से होती हैं. बहुत खराब बुध से व्यक्ति के फेफड़े खराब होने का भय रहता है. व्यक्ति हकलाता है तो भी बुध के कारण और गूंगा बहरापन भी बुध के कारण ही होता है.

ब्रहस्पति ग्रह और मोटापा

गुरु यानी ब्रहस्पति व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है परन्तु पढ़े लिखे लोग यदि मूर्खों जैसा व्यवहार करें, तो समझ लीजिए कि व्यक्ति का गुरु कुंडली में खराब है. गुरु यदि दुष्ट ग्रहों से प्रभावित होता है तो मोटापा देता है. Read More – Today’s Recipe : अब कढ़ाई पर आसानी से बनाएं Garlic Bread, ओवन की नहीं पड़ेगी जरूरत …

शुक्र ग्रह और शुगर या मधुमेह

यदि शुक्र की स्थिति अशुभ है तो जातक के जीवन से मनोरंजन को समाप्त कर देता है. नपुंसकता या सेक्स के प्रति अरुचि का कारण अधिकतम शुक्र ही बनता है. शुक्र के अशुभ होने से व्यक्ति के शरीर को बेडोल बना देता है. बहुत अधिक पतला शरीर या ठिगना कद शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण होते हैं.

शनि ग्रह और लम्बे रोग

शनि दु:ख और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है. जितने प्रकार की शारीरिक व्याधियां हैं उनके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जो दु:ख और कष्ट प्राप्त होता है, उसका कारण शनि ग्रह होता है. राहू पर शनि के प्रभाव से जातक को उच्च और कमजोर रक्तचाप दोनों से पीड़ित रखता है. केतु पर शनि के प्रभाव से जातक को गम्भीर रोग होते हैं, परन्तु कभी रोग का पता नहीं चलता और आयु निकल जाती है पर बीमारियों से जातक जूझता रहता है.

राहू ग्रह और ब्लड प्रेशर

राहू एक रहस्यमय ग्रह है. इसलिए राहू से जातक को जो रोग होंगे वह भी रहस्यमय ही होते हैं. एक के बाद दूसरी पीड़ा राहू से ही होती है. राहू अशुभ हो तो जातक का इलाज चलता रहता है और डॉक्टर के पास आना जाना लगा रहता है. किसी दवाई से रिएक्शन या एलर्जी राहू से ही मिलती है. वहम यदि एक रोग है जो राहू देता है. डर के कारण हृदयाघात राहू से ही होता है. अचानक हृदय गति रुक जाना या स्ट्रोक राहू से ही होता है.

केतु ग्रह और भूत-प्रेत बाधा

केतु से होने वाली बीमारी का पता चलना बहुत कठिन हो जाता है. केतु खराब हो तो फोड़े फुंसियां देता है और यदि थोड़ा और खराब हो तो घाव जो देर तक न भरे वह केतु के कारण से ही होता है.