रायपुर. भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने इस दौरान कहा, नान घोटाले मामले में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वो रौंगटे खड़े कर देने वाले हैं. राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप, वैचारिक मतभेद यह सामान्य बात है.

मूणत ने कहा कि, एक निजी मीडिया हाउस के माध्यम से शासन-प्रशासन के लोगों के मध्य हुई वाट्सअप चैट के आधार पर आई जानकारी से यह स्पष्ट हो गया कि, राज्य की सरकार ने नान घोटाले को लेकर एक बड़ा षड़यंत्र रचा, जिसमें कई बातें सामने आई है. बकायदा लोगों को टारगेट करने के लिए एक हिटलिस्ट बनाई गई बिल्कुल एक सुपारी किलर की तरह सभी को इस हिटलिस्ट में लिखे नामों को टारगेट करने कहा गया, जिसने बात मान ली उसे इनाम के तौर पर प्रमोशन मिला और जिसने बात नहीं मानी उन्हें बकायदा जेल भेजने का काम भी किया गया. सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उनके परिवार के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश के तहत षड्यंत्र रचा था.

सत्ता पाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के छवि को धूमिल करने सरकार ने अपने भ्रष्ट अधिकारियों की फौज को झूठे सबूत जुटाने के लिए लगाया था. अब यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार आखिर जांच एजेंसियों से इतना डरती क्यों है. सरकार ने नान घोटाले के मामले में भी किया है. 2015 में जब दो वरिष्ठ अधिकारियों का नाम नान घोटाले में सामने आया तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उन पर तत्काल कार्रवाई करते ही चार्जशीट दायर की.

भ्रष्टाचार के खिलाफ जहां भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा से ही जीरो टॉलरेंस की नीति अपना कर काम किया है. वहीं सरकार ने इस भ्रष्टाचार में भी अवसर तलाशते हुए राजनीतिक मर्यादाओं को तार-तार करते हुए भ्रष्ट अधिकारियों से सांठ-गांठ करके शासन के खिलाफ काम किया.

इन अधिकारियों पर जब आयकर विभाग ने कार्रवाई की तब उनके व्हाट्सएप चैट से ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो साबित करते हैं कि, किस तरह से सरकार भ्रष्ट अधिकारियों की संरक्षक बनकर काम कर रही थी. बल्कि वो षड़यंत्रकारियों के सरगना बनकर कार्य कर रहे हैं. सरकार की इन अधिकारियों पर इस मेहरबानी की वजह यह थी कि इन अधिकारियों ने बीते समय नान घोटाले में डॉ रमन सिंह और उनके परिवार को फंसाने के लिए झूठे सबूत बनाए थे.

नान घोटाले के भ्रष्ट अधिकारियों पर जब आयकर विभाग और शासन ने कार्रवाई बढ़ाई. तब भूपेश राजनीतिक षड्यंत्र में जुड़कर एक राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित होकर काम करना प्रारंभ किया और डॉ रमन सिंह और उनके परिवार समेत करीबियों की हिटलिस्ट बनाकर इस घोटाले से जोड़ने के लिए झूठे सबूत बनाए.