जयपुर. नागौर जिले में मां भुवाल काली माता का मंदिर राजस्थान के आठ रहस्यमय मंदिरों में शामिल है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां माता ढाई प्याला शराब ग्रहण करती हैं. साथ ही बचे हुए प्याले की शराब को भैरव पर चढ़ाया जाता है. इस मंदिर का निर्माण डाकुओं ने करवाया था. शिलालेख से पता चलता है कि मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 1380 को हुआ था. मंदिर के चारों और देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं व कारीगरी की गई है. मंदिर के ऊपरी भाग में गुप्त कक्ष बनाया गया था, जिसे गुफा भी कहा जाता है. यहां माता काली व ब्राह्मणी दो स्वरूप में पूजी जाती हैं. मंदिर के चारों और देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं व कारीगरी की गई है. मंदिर काफी चमत्कारिक भी है, यहां से कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता. भक्त मंदिर में मदिरा लेकर आता है तो पुजारी उससे चांदी का ढाई प्याला भरता है. इसके बाद वह देवी के होठों तक प्याला लेकर जाता है. इस समय देवी के मुख की ओर देखना वर्जित है. माता अपने भक्त से प्रसन्न होकर तुरंत ही वह मदिरा स्वीकार कर लेती हैं. प्याले में एक बूंद भी बाकी नहीं रहती. मंदिर में आने वाले भक्तजन ब्रह्माणी देवी को मिठाई और काली को शराब का भोग चढ़ाते हैं.
क्या है मान्यता
इस मंदिर में शराब को किसी नशे के रूप में नहीं, बल्कि प्रसाद की तरह चढ़ाया जाता है. काली माता ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं. चांदी के प्याले में शराब भरकर मंदिर के पुजारी अपनी आंखें बंद कर देवी मां से प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह करते हैं. कुछ ही क्षणों में प्याले से शराब गायब हो जाती है. ऐसा 3 बार किया जाता है. मान्यता है कि तीसरी बार प्याला प्रसाद के रूप में आधा भरा रह जाता है. मान्यता है कि भंवाल मां प्राचीन समय में यहां एक पेड़ के नीचे पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुई हैं.
डाकुओं ने बनवाया मंदिर
तकरीबन 800 साल पुराने इस मंदिर को किसी धर्मात्मा या सज्जन ने नहीं, बल्कि डाकुओं ने बनवाया था. स्थानीय बड़े-बुजुर्गों के मुताबिक यहां एक कहानी प्रचलित है कि इस स्थान पर डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था. मृत्यु को निकट देख उन्होंने मां को याद किया. मां ने अपने प्रताप से डाकुओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया. इस प्रकार डाकुओं के प्राण बच गए. इसके बाद उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण करवाया.
माता की दो प्रतिमाएं हैं विराजित
मंदिर के गृभगृह में माता की दो मूर्तियां स्थापित हैं. दाएं ओर ब्रह्माणी माता, जिन्हें मीठा प्रसाद चढ़ाते हैं. यह लड्डू या पेड़े या श्रद्धानुसार कुछ भी हो सकता है. बाएं ओर दूसरी प्रतिमा काली माता की है, जिनको शराब चढ़ाई जाती है. लाखों भक्त यहां अपनी मन्नत लेकर आते हैं. मन्नत पूरी होने पर भक्त माता को धन्यवाद देने दोबारा यहां आते हैं.
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