रायपुर- कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान तमाम सुर्खियों के बीच एक सुर्खी ये भी बनी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे और मौजूदा वक्त में जय छत्तीसगढ़ पार्टी बनाकर आदिवासी हितों के लिए लड़ रहे अरविंद नेताम की घर वापसी हुई. हालांकि पहले से कयास लगाए जा रहे थे कि नेताम कांग्रेस में वापसी करेंगे. बीते साल उनकी राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी, उस दौरान ही उन्होंने घर वापसी का न्यौता दिया था.
अरविंद नेताम की कांग्रेस में जिस वक्त वापसी हुई है, ठीक उस वक्त छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज और सरकार के बीच टकराव के हालात भी बने हुए हैं. पत्थलगढ़ी के मुद्दे पर आदिवासी समाज के दो तबके आ खड़े हुए हैं. एक तबका विरोध में है, तो दूसरा सरकार के समर्थन में. इस बीच कांग्रेस में हुई वापसी पर नेताम कहते हैं कि ट्राइबल साइकोलाॅजी को बीजेपी कभी नहीं समझ पाएगी. आरएसएस के रंगीन चश्में से देखकर ट्राइबल साइकोलाॅजी को नहीं समझा जा सकता. यह बेहद कठिन है. इसके लिए बीजेपी को कई जन्म लेने पड़ेंगे. ट्राइबल साइकोलाॅजी को समझने के लिए हिम्मत चाहिए, जो बीजेपी के पास नहीं है. पत्थलगढ़ी बीजेपी का आदिवासी समाज के साथ टकराव है. यह टकराव और आगे बढ़ेगा. कांग्रेस इस नब्ज को पकड़कर ही आदिवासियों के हित में और बीजेपी के खिलाफ काम करेगी.
चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं
अरविंद नेताम से जब यह पूछा गया कि आने वाले चंद महीनों में छत्तीसगढ़ चुनाव से गुजरेगा. ऐसे में जिस वक्त घर वापसी हुई है, क्या चुनाव लड़ने का कोई इऱादा है? इस पर नेताम ने तपाक से कहा कि- नहीं. चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है. अब मैं चुनावी राजनीति से बहुत दूर निकल आया हूं. मेरी प्राथमिकता राहुल गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व को ताकत देना है. कांग्रेस में हुई वापसी की भूमिका बताते हुए नेताम ने कहा कि एक साल पहले मेरी मुलाकात राहुल गांधी से हुई थी, उन्होंने कांग्रेस में वापस आने के लिए कहा था. मैंने रिएक्ट नहीं किया था. इतना कहा था जब जरूरत होगी मैं आ जाऊंगा. आज देश के जो हालात है, इस बीच राष्ट्रीय राजनीति में हमारे जैसे नेताओं की भूमिका ज्यादा होगी.
अरविंद नेताम ने कहा कि- घर वापसी पर अच्छा लग रहा है. यह अच्छी बात है. देश में एक मजबूत कांग्रेस की जरूरत है. वरना आने वाले समय में मौजूदा राजनीति को देखकर लगता है कि आंधी भी आएगी, तूफान भी आएगा. एक मजबूत पार्टी की जरूरत है, जो देश को मजबूत बना कर रखे, नहीं तो देश टूट जाएगा. देश की राजनीति में दिक्कतें आ रही हैं. आंधी-तूफान को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करनी होगी. राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने की जरूरत है. नेताम ने कहा कि दलित-आदिवासी समाज में अब वह बात नहीं है, अब समाज में मजबूत नेता नहीं है, जैसा पहले हुआ करते हैं. मौजूदा नेता लड़ नहीं पा रहे हैं. अब नेता कमजोर दिखते हैं, जैसा लड़ना चाहिए लड़ नहीं पा रहे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पार्लियामेंट में सांसद लड़ नहीं सके, समाज ज्यादा लड़ा. पहले होता था कि संसद के सदस्य लड़ते थे, अब समाज मुखर होकर सामने आया है.