पुरषोत्तम पात्र, गरियबंद। LALLURAM.COM की खबर का बड़ा असर हुआ है. खबर प्रकाशित करने के बाद स्वास्थ्य अमला हरकत में आया और सीधे श्मशान घाट पहुंच गया. जहां ग्रामीणों के सामने मरीज की ड्रेसिंग की गई. गूंचु को कुष्ठ रोग नहीं है, जबकि गैंगरीन की बीमारी है. यह कोई छूत रोग नहीं है. ये जानकारी लगने के बाद पत्नी अपने बीमार पति के साथ जिला अस्पताल जाने को तैयार हुई.

गूंचु को परिजन कुष्ठ रोग छूआ छूत की बीमारी मान कर जिंदा रहते हुए भी श्मशान घाट तक पहुंचा दिया था. मामले की खबर प्रकाशन के बाद आज प्रसाशन हरक़त में आया. सुबह 11 बजे से मैनपुर बीएमओ गजेंद्र ध्रुव के नेतृत्व में स्वास्थ्य अमला श्मशान घाट पहंच गया.

मितानिन, सरपंच, पंच, ग्रामीण और परिजनों की उपस्थिति में गुंचु यादव के पांव में फैले घाव को बीएमओ ने धोया. सभी के सामने उसका ड्रेसिंग किया. बीएमओ ध्रुव ने ग्रामीण और परिजनों को बताया कि यह कुष्ठ रोग नहीं है. गैंगरीन के लक्षण दिख रहे हैं. कुष्ठ हो या गैंगरीन दोनों उपचार से ठीक हो सकता है.

मरीज के साथ स्वास्थ्य अमला एक घण्टे का वक़्त बिताया. उपचार के साथ ही टीम ने उन्हें ऐसे मामलों में जागरूकता लाने की सलाह दी. ऐसे मामले में निजी के बजाए सबसे पहले मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की भी नसीहत दी. स्वास्थ्य अमला के समझाइश के बाद गुंचु की पत्नी लोचनी, बेटा घेनुराम और लखन लाल मरीज के साथ रहने को तैयार हुए, जिसके बाद एम्बुलेंस के जरिए मरीज को जिला अस्पताल भेजा गया.

उंगली की मांसपेशी में सड़न, सिस्टम में चूक की जांच हो

सर्दी जैसे साधारण रोग का भी सरकारी इलाज का प्रावधान है. गूंचु का उंगली सड़ने लगे थे. पीडिटी 5 साल से इलाज करवा रहा था, लेकिन स्वास्थ्य अमले को इसकी भनक क्यों नहीं लगी. जिंदा पिता को श्मशान घाट पहुंचाने की सबसे पहले सूचना मीडिया को देने वाले समाज सेवी गौरीशंकर कश्यप ने मामले की जांच की मांग की है.

गौरी ने कहा कि मितानिन और स्वास्थ्य कार्यकर्ता को कई मौकों पर डोर टू डोर सर्वे करने का प्रावधान है. बावजूद इसके 5 साल से पीड़ित गूंचु की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को कैसे नहीं लग सकी.

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