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चीनी को मीठा जहर कहा जाता है, जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है, क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है, जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है. आज के समय में लोगों के lifestyle ऐसी हो गई है कि सोने, खाने का कोई time निश्चित नहीं रहता. इसके अलावा आजकल का खान पान भी ऐसा हो गया है, जो बहुत सी बीमारियों को न्यौता देता है. ऐसा देखने में आता है कि लोगों के खाने में नमक व चीनी की खपत भी बढ़ रही है. यह भी कह सकते हैं कि “चीनी एक तरह की नई तंबाकू है”.
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अधिक मात्रा में चीनी खाने-पीने से अवसाद और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है. यह खतरा खासतौर पर पुरुषों को होता है. चीनी के अधिक सेवन से पुरुषों में मानसिक विकार पैदा होने का खतरा बढ़ सकता है. चीनी के अधिक सेवन के कारण ये विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.
हृदय बीमारी व आघात
जो लोग बहुत ज्यादा चीनी और चीनी के उत्पादों का सेवन करते हैं, उन्हें उच्च ट्रायग्लिसरॉयड व कम एचडीएल कोलेस्टेरॉल की शिकायत हो सकती है. एचडीएल अच्छा कोलेस्टेरॉल है, जो आपको हृदयाघात से रक्षा करता है. बहुत ज्यादा चीनी खाना दिल से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को न्योता देता है.
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दांतों की समस्याएं
जब लोग चीनी के रूप में 10-20% केलोरीज की खपत कर लेते हैं, तब वह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन जाती है और इस वजह से पोषण की कमी में योगदान मिलता है. दांतों के लिए चीनी बहुत खराब होती है, क्योंकि यह खराब बैक्टेरिया को आसानी से पचने वाली ऊर्जा मुंह में उपलब्ध कराती है.
बच्चों में अतिशय सक्रियता
कहा जाता है कि चीनी बच्चों में अतिशय सक्रियता की दोषी है. कुछ बच्चे ज्यादा चीनी खाने की वजह से अति सक्रिय रहते हैं. जब उन्हें चीनी मिल जाती है, जब वे वास्तव में उद्दंड हो जाते हैं.
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मोटापा
जिन खाने की चीजों में शक्कर होती है वह फैट्स(वसा) और कैलोरीज से भी भरपूर होते है. इससे वजन बढ़ने की सम्भावना रहती है तथा मोटापा हो सकता है. शक्कर मोटापा और वजन के बढ़ने से जुडी हुई है और स्वभाविक सी बात है जब आपका वजन बढ़ेगा तो बहुत सी बीमारियां भी आपकी body में घर करेगी.
मधुमेह यानी डायबिटीज
दरअसल चीनी से मधुमेह नहीं होता, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इनका कोई संबंध नहीं. दरअसल, शरीर में पहुंचने वाली चीनी, मीठे पेय व मधुमेह के बीच कड़ी दर कड़ी संबंध होता है. चीनी से मोटापा आता है, जो मधुमेह के जोखिम का कारक है. मोटापे के कारण शरीर में कई प्रकार के मेटाबोलिक व हार्मोनल बदलाव होते हैं. आखिर में स्थिति ऐसी आ जाती है, जिससे रक्त-शर्करा को नियंत्रित करने के लिए, जितना इंसुलिन शरीर में चाहिए, उत्पादन उससे कम होने लगता है.
अस्थि रोग
शक्कर को पचाने के लिए आवश्यक कैल्शियम हड्डियों व दाँतों में से लिया जाता है. कैल्शियम व फॉस्फोरस का संतुलन जो सामान्यता 5:2 होता है, वह बिगड़कर हड्डियों में सच्छिद्रता आती है. इससे हड्डियाँ दुर्बल होकर जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, दंतविकार, साधारण चोट लगने पर फ्रैक्चर, बालों का झड़ना आदि समस्याएँ उत्पन्न होती है.
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