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आजाद सक्सेना, दंतेवाड़ा. बस्तर संभाग में केंद्र सरकार के द्वारा नगरनार स्टील प्लांट निजीकरण करने के खिलाफ में बड़ा आंदोलन होगा. बस्तर के आदिवासी संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे हैं. 27 जनवरी को प्रभावित 9 पंचायत के हजारों आदिवासी एक दिन के लिए स्टील प्लांट को बंद करेंगे. जिसके समर्थन में ट्रेड यूनियन भी उतरा है. आदिवासियों ने कहा कि, जान देंगे पर स्टील प्लांट को निजी हाथों में जाने नहीं देंगे. किसानों ने अपनी जमीन एनएमडीसी को स्टील प्लांट लगाने के लिए दी थी. निजी हाथों को में बेचने के लिए नहीं.
बैलाडीला मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन (इंटक) शाखा किरंदुल के कार्यालय श्रमिक सदन में आयोजित प्रेस वार्ता में इंटक नेताओं ने नगरनार को निजी हाथों में जाने से रोकने के लिए अपना सब कुछ झोंक देने की बातें कही है. उनका कहना है कि, चाहे जिस भी स्तर पर जाकर आंदोलन करना पड़े, हम नगरनार का निजीकरण नहीं होने देंगे. जान देंगे पर बाहरी कंपनी को घुसने नहीं देंगे.
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स्टील श्रमिक यूनियन, नगरनार के सचिव वीरेंद्र मैथ्यू ने कहा कि, मेरे जैसे कई किसानों ने एनएमडीसी के नाम पर ही 2010 में अपना जमीन अधिग्रहित करवाए थे. ताकि पब्लिक सेक्टर के हाथों कंपनी चले कृषि भूमि देने के 9 वर्ष इंतजार करने के बाद हमारी नौकरी लगी. आज उस नगरनार को निजी हाथों में सौंपने की केंद्र सरकार द्वारा तैयारी चल रही है, जो कि हम लोगों के साथ छलावा है. हम लोग किसी भी परिस्थिति में नगरनार का निजीकरण नहीं होने देंगे ,चाहे इसके लिए महान क्रांतिकारी गुंडाधुर जैसा आंदोलन बस्तर में क्यों न करना पड़े. इसकी शुरुआत 27 जनवरी को नगरनार स्टील प्लांट बन्द करके किया जाएगा.
मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन के केंद्रीय कार्यसमिति के महासचिव आशीष यादव ने कहा कि, निजीकरण रोकने के लिए चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा. समस्त भू प्रभावितों, ग्रामवासियों, स्टील श्रमिक यूनियन नगरनार द्वारा निजीकरण के विरोध में जो भी आंदोलन किया जाएगा, हमारे यूनियन द्वारा उसका पुरजोर समर्थन किया जाएगा.
आगे आशीष यादव ने कहा कि, जब छत्तीसगढ़ राज्य सरकार खुद स्टील प्लांट को चलाने के लिए तैयार हैं तो केंद्र सरकार ने अपने लोगों को स्टील प्लांट देने के लिए नया नियम बना दिया. जिसके तहत जिस राज्य में स्टील प्लांट होगा उस राज्य कि सरकार बोली में नहीं लगा सकती. यह केंद्र सरकार की सोची समझी साजिश है. जिसे किसी भी हाल में पूरा होने नहीं दिया जाएगा. अगर केंद्र सरकार निजी हाथों में स्टील प्लांट दे देती है तो उसको बस्तर में घुसने नहीं दिया जाएगा. इसके लिए उग्र आंदोलन करना पड़ेगा तो हम तैयार हैं.
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