सुशील सलाम, कांकेर। बस्तर किसी कला का मोहताज नही है. बस्तर की कला और कलाकारों की कलाकृतियां विश्व प्रसिद्ध है,,,नक्सलियों की गोली और बारूद की गंध के बीच भी लोग अपनी कला को निखारने से पीछे नहीं हट रहे,,,,उसी का नतीजा है कि जेल में बंद नक्सलियों और आप कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करने वाले कलाकार अजय मंडावी को पद्मश्री के सम्मान से नवाजा जाएगा.

कांकेर जिले के आदिवासी कलाकार अजय मंडावी का नाम इस वर्ष पद्मश्री पाने वाले कि सूची में शामिल है. अजय मंडावी बचपन से वुड़न आर्ट (काष्ठकला) का कार्य कर रहे है, जिनकी कला का लोहा छत्तीसगढ़ अपनी अलग पहचान बनाती है. वर्तमान में अजय मंडावी जिला जेल कांकेर में बंद कैदियों को काष्ट कला का प्रशिक्षण देते हैं. अजय मंडावी अपनी कला के माध्यम से बहुत से कलाकृतियां तैयार करने के साथ बाइबिल को उकेर चुके हैं.

कांकेर के अजय मंडावी को उनकी जिस कला के लिए पुरस्कार मिल रहा है, उसमें वंदेमातरम शामिल है. उन्होंने उस कला के बल पर 40 फीट ऊंची और 22 फीट चौड़ी काष्ट पट्टिका पर वंदेमातरम की कृति तैयार की थी. इस कार्य में उनका साथ जेल में बंद नक्सल कैदियों ने राष्ट्र भक्ति का संदेश देते हुए दिया, जो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. इन्होंने इस कला को राष्ट्र के नाम समर्पित किया है.

अजय मंडावी बताते है कि लकड़ी पर कुरेदकर कलाकृति तैयार करना आसान नहीं है. लकड़ी से एक एक अक्षर को आकार देकर काष्ट पट्टिका पर चिपकाना बेहद कठिन है. अब इस कला को जेल में बंद कैदियों को वह पिछले 13-14 वर्षों से सिखा रहे है, जिसमें नक्सल मामले में बंद कैदी से लेकर अन्य मामलों में बंद कैदी शामिल है. उन्होंने अब तक बहुत से कैदियों को इस कला की बारीकियां सिखाई हैं. इस कला के क्षेत्र में उन्हें राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया है, तो इनके नाम बहुत से रिकार्ड भी दर्ज है.

अजय को अब पद्मश्री से नवाजा जाने वाला है. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें इस वर्ष 14 अगस्त को दिया जाएगा. उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा. इस पुरस्कार को पाने नाम आने के बाद वह बेहद खुश है.

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